लगभग दो महीने तक फाइलें एक जगह से दूसरी जगह करने के बाद, अरविन्द केजरीवाल की सरकार ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद और उसके साथी शरजील इमाम सहित अन्य लोगों के खिलाफ कार्यवाही करने की मंजूरी दे दी हैं. इसके साथ ही अब दिल्ली पुलिस इन लोगों के खिलाफ चार्जशीट जारी कर पाएगी और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी UAPA के तहत चार्ज शीट फ़ाइल करेगी.
दंगों की शुरुआत में वामपंथी मीडिया और अरविन्द केजरीवाल की सरकार दोनों मिलकर दंगों को बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के बयान के इर्द-गिर्द कार्यवाही करने की मांग कर रहे थे. अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने तो दिल्ली पुलिस पर ही हिंसा करने का आरोप लगा दिया था.
बाद में जब आम आदमी पार्टी के नेता ताहिर हुसैन का नाम सबूतों के साथ सामने आया तो आम आदमी पार्टी की पुरे देश में बहुत ज्यादा बदनामी हुई. इसके बाद आम आदमी पार्टी के छोटे मोटे नेता भले ही दिल्ली पुलिस और केंद्र पर दिल्ली दंगों को लेकर कुछ बयान देते हों, लेकिन अरविन्द केजरीवाल अपनी पार्टी की इमेज सुधारने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं.
पहले उसने देशद्रोह मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र कन्हैया कुमार की चार्ज शीट वाली फ़ाइल को मंजूरी दी जो केजरीवाल सरकार ने लगभग 2-3 साल तक दबाए रखी हुई थी. उसके बाद अब उमर खालिद और शरजील इमाम पर चार्जशीट फ़ाइल करने का रास्ता साफ़ किया.
दिल्ली पुलिस ने उमर खाली को 14 सितंबर को ही दिल्ली में हुए दंगे से जुड़े मामले में साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया हुआ हैं. इसके लिए कड़कड़डूमा कोर्ट ने उमर खालिद की न्यायिक हिरासत 20 नवंबर तक जारी की हुई हैं, हालाँकि पुलिस ने अब 30 दिन और न्यायिक हिरासत बढ़ाने की अर्ज़ी कोर्ट में लगा दी हैं.
दिल्ली पुलिस का कहना है की उमर खालिद के खिलाफ जांच अभी जारी हैं. दिल्ली सरकार ने भी उमर खालिद के खिलाफ चार्ज शीट फ़ाइल करने का रास्ता साफ़ कर दिया हैं. ऐसे में उमर खालिद को 20 नवंबर को जमानत न दी जाए और इसकी न्यायिक हिरासत को 30 दिनों के लिए और ज्यादा बढ़ा दिया जाए.