आपको पिछले बिहार के चुनाव याद हैं? जहां चुनाव प्रचार के दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ रोज़ नई-नई गालियां दिया करते थे, विपक्षी पार्टी के नेता. अब वही हाल इस वक़्त मध्यप्रदेश के चुनावों में नज़र आ रहा है. मध्यप्रदेश में 3 नवंबर को 28 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने वाले हैं. इस दौरान पहले भी आचार संहिंता के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग कमलनाथ पर कार्यवाही कर चूका हैं.
चुनाव आयोग ने कमलनाथ से उनसे पार्टी के स्टार प्रचारक का पद छीन लिया था और अब उन्होंने सिंधिया के बारे में बयान देते हुए कहा है की, “वह कुत्ता हैं, जो हमेशा अपने मालिकों के लिए वफादार रहता है.” इससे पहले कमलनाथ ने बीजेपी प्रत्याशी इमरती देवी को ‘आइटम’ कहा था और अब सिंधिया को ‘कुत्ता’.
इस पर ज्योतिरादित्य सिंधिया चुप नहीं बैठे और उन्होंने पलटवार करते हुए कहा की, “कमलनाथ जी ने मुझे कुत्ता कहा. हां, मैं कुत्ता हूं क्योंकि मेरा मालिक मेरी जनता है और मैं उसकी सेवा करता हूं… हां, कमलनाथ जी मैं कुत्ता हूं क्योंकि कुत्ता अपने मालिक और अपने दाता की रक्षा करता है. हां, कमलनाथ जी मैं कुत्ता हूं क्योंकि अगर कोई भी व्यक्ति मेरे मालिक को ऊंगली दिखाए और मालिक के साथ भ्रष्टाचार और विनाशकारी नीति दिखाए तो कुत्ता काटेगा उसे.”
एक तरफ जहां कमलनाथ चुनाव आयोग पर यह आरोप लगा रहें है की, चुनाव के दो दिन पहले उनपर कार्यवाही करते हुए चुनाव आयोग ने पार्टी के स्टार प्रचारक का पद क्यों छीन लिया, दूसरी तरफ वह ऐसी भाषा का प्रयोग कर रहें हैं. जिसे सुनने के बाद कोई नासमझ भी समझ जायेगा की आखिर चुनाव आयोग ने यह फैसला क्यों लिया होगा.
कांग्रेस से राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा फिर इस कार्यवाही को अपने ‘लोकतंत्र की हत्या’ वाले खांचे में उतारने का पूरा प्रयास करते हुए बयान देते हैं की, “आयोग ने बिना नोटिस दिए कमलनाथ को स्टार प्रचारक की सूची से अलग कर दिया. अब हमारी लड़ाई लोकतंत्र की रक्षा के लिए है.” अब ऐसा भी नहीं है की कोर्ट के कहे जाने के बाद भी यह मान जायेंगे की चुनाव आयोग ने जो किया वो सही किया. क्योंकि कोर्ट का फैसला अगर चुनाव आयोग के पक्ष आया तो भी कांग्रेस इसे भी लोकतंत्र की हत्या मानेगी.