मुलायम से बुरी होगी अखिलेश की गति, चुनाव में बीजेपी को करेंगे सपोर्ट

उत्तर प्रदेश की सियासत एक बार फिर से नया मोड़ ले रही हैं, इसके साथ ही उत्तर प्रदेश की सियासत से कांग्रेस बाहर जाती हुई दिख रही है. दरअसल BSP प्रमुख मायावती ने यह स्वीकार किया है की, समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करना उनके जीवन की सबसे बड़ी भूल थी.

BSP प्रमुख ने यह ब्यान तब दिया जब उन्हें पता चला की उनके 7 विधायक समाजवादी पार्टी के साथ संपर्क बना रहें हैं. फिलहाल मायावती ने इन सातों विधायकों को निलंबित कर दिया है और कहा है की, अगर इन्होने समाजवादी पार्टी में कदम रखा तो इनकी विधायकी की सदस्यता ख़त्म करने के लिए भी जरूरी कार्यवाही की जाएगी.

आपको बता दें की अभी कुछ महीने पहले मायावती ने राजस्थान में कांग्रेस पार्टी को समर्थन दिया था और बाद में BSP के सभी जीते हुए 6 विधायक कांग्रेस पार्टी में ही शामिल हो गए थे. तब भी मायावती ने कहा था, कांग्रेस ने उनकी पीठ पर छुरा घोंपा हैं. यही कारण हैं की सपा की इस हरकत पर मायावती इतनी नाराज़ हो गयी हैं की उन्होंने बीजेपी से गठबंधन करने की बात कह दी हैं.

मायावती ने मीडिया से वार्तालाप करते हुए ब्यान दिया हैं की, “लोकसभा चुनाव के दौरान सांप्रदायिक ताकतों से मुकाबला करने के लिए हमारी पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ हाथ मिलाया था. लेकिन उनके परिवार में चल रही आंतरिक कलह की वजह से उन्हें बीएसपी के साथ गठबंधन का अधिक फायदा नहीं मिल सका. चुनाव के बाद उनकी तरफ से प्रतिक्रिया मिलनी बंद हो गई, जिस वजह से हमने रास्ते अलग करने का फैसला लिया.”

मायावती आगे कहती हैं की, “मैं यह खुलासा करना चाहती हूं कि जब हमने लोकसभा चुनाव साथ लड़ने का फैसला किया था, तब पहले दिन से ही हमने कड़ी मेहनत की. लेकिन समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पहले दिन से ही सतीश चंद्र मिश्रा से कहते रहे कि अब जबकि एसपी-बीएसपी ने हाथ मिला लिया है, तो मुझे जून 1995 के केस को वापस ले लेना चाहिए. हमने फैसला कर लिया है कि यूपी में आगामी एमएलसी चुनाव में एसपी के प्रत्याशी को हराने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाएंगे. अगर हमें बीजेपी प्रत्याशी या फिर किसी दूसरी पार्टी के कैंडिडेट को वोट देना होगा तो वो भी करेंगे.”

मायावती ने यह भी दावा किया है की समाजवादी पार्टी ने उनपर दबाव बनाया था की अगर उन्हें गठबंधन जारी रखना है तो 1995 में हुए गेस्ट हाउस कांड का मुकदमा वापिस लेना होगा. वैसे भी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी अब साथ आ ही गए हैं तो फिर मुक़दमे के मायने ही क्या हैं. मायावती ने मीडिया को कहा की मेरे द्वारा यह केस वापिस लेना मेरे जीवन की सबसे बड़ी भूल थी.

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