Nikita Tomar Case: लव जेहाद के आतंक से परेशान होकर गुस्साएं लोग सोहना रोड से लेकर बल्लभगढ़ में दिल्ली-आगरा हाईवे पर जाम लगाए हुए बैठे थे. ऐसे में फरीदाबाद निकिता बिटिया का शव लेने के लिए परिवार के लोग बीके सिविल अस्पताल में मौजूद पुलिस अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ा रहे थे.
पुलिस को डर था परिवार के लोग निकिता के शव को लेकर धरना प्रदर्शन करने के लिए सड़क न जाम कर दें. क्योंकि ऐसे मामलों में अक्सर बाद में हालात बिगड़ जाते हैं. इसलिए 1 बजे से लेकर साढ़े 4 बजे तक पुलिस ने शव परिजनों को नहीं सौंपा. बाद में पुलिस ने इस शर्त पर शव देने के लिए तैयार हुए की निकिता के शव को भारी पुलिस सुरक्षा बल के साथ पहले घर और फिर श्मशान लेजाया जाएगा.
इस घटना को लेकर निकिता के मामा हाकिम सिंह ने मीडिया को ब्यान देते हुए कहा की, “दोपहर करीब एक बजे भांजी का शव लेने के लिए बीके सिविल अस्पताल स्थित पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंचे थे. वहां शहरी क्षेत्र के थाना प्रभारी मौजूद मिले. उन्होंने पोस्टमार्टम के लिए कुछ कागजी कार्रवाई कराई और जल्द ही शव को उनके सुपुर्द करने की बात कही. इसके बाद पुलिसकर्मी हर बार 5-5 मिनट में शव देने की बात करते रहे. जब तीन बजे तक उन्हें निकिता का शव नहीं दिया गया तो उन्होंने पुलिस से मिन्नत करनी शुरू की. परिजनों ने शव को सुपुर्दगी में लेने के लिए पुलिस पर दबाव भी बनाना शुरू किया, मगर पुलिस अधिकारी हर बार परिजनों को चंद मिनट का झांसा देती रहे.”
अंत में पुलिस ने परिवार के सामने अपनी एक शर्त रखी और जिसे परिवार को मानना पड़ा जिसके बाद निकिता का शव परिवार के सदस्यों को सौंपा गया. जिसे फिर तीन पुलिस गाड़ियों के साथ घर लेजाया गया. आरोपियों की बात करें तो दोनों के दोनों पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये जा चुके हैं. आरोपी के पिता, दादा और चाचा सबके सब कांग्रेस पार्टी में किसी न किसी पद पर विराजमान रहें हैं.
ऐसे में यह देखना काफी दिलचस्प होगा की कांग्रेस नेताओं के बेटे को कड़ी से कड़ी सज़ा देकर पुलिस एक मिसाल कायम करती हैं या फिर केस को इतना उलझा दिया जाएगा की कोर्ट में मामला साबित ही नहीं हो पाए या मामले को दबाते हुए कुछ साल बाद दोनों लड़कों को अच्छे व्यवहार के चलते छोड़ दिया जाएगा? जैसा की अक्सर बड़े बाप की औलादों द्वारा अपराध किये जाने के बाद होता आया हैं.