यह घटना 2008 की हैं, केंद्र में कांग्रेस और उसके साथी दलों के गठबंधन वाली सरकार हुआ करती थी. तेजस्वी यादव के पिता तब भारत के रेल मंत्री हुआ करते थे और तेजस्वी यादव दिल्ली में रहा करते थे. इस दौरान नए साल का जश्न मना रहे तेजस्वी यादव भी दिल्ली की सड़कों पर निकले हुए थे.
जनवरी 1, 2008 को जब देश और दुनिया में लोग नए साल का जश्न मना रहे थे, तब तेजस्वी यादव दिल्ली के एक फार्म हाउस में लड़कियां छेड़ रहें थे. इस बात की पुष्टि 2 जनवरी 2008 को ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित हुई खबर में हुई थी, हालाँकि हिंदुस्तान टाइम्स ने लालू के पद का सम्मान करते हुए तेजस्वी यादव के निकनेम तरुण का इस्तेमाल किया था.
हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार भारतीय रेल मंत्री के बेटे तरुण को नए साल के मौके पर दिल्ली में मजूद कुछ लड़कों ने बुरी तरह से पिटा हैं. लड़कों ने यह पिटाई, उनके साथ आयी लड़कियों को तरुण द्वारा छेड़े जाने के बाद की गई थी. यह तरुण नाम का मुद्दा जनवरी 2020 में उछला था, जब JDU के विधायक ने कहा था की लालू यादव की कई बेनामी संपत्ति तरुण यादव के नाम पर रजिस्टर हैं.
JDU विधायक ने कहा था की, लालू यादव को देश की जनता को बताना चाहिए की तरुण यादव कौन हैं? जिसके पिता का नाम लालू यादव है और माता का राबड़ी देवी. अगस्त 2018 की बात करें तो राजद के प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने लड़कियों को छेड़ने वाले मुद्दे पर ब्यान देते हुए कहा था की, “उस समय ये लोग काफी छोटी उम्र के थे और उस उम्र में ये चीजें ‘सामान्य’ मानी जाती हैं. अगर ये लोग उस उम्र में लड़कियों को नहीं देखेंगे और ऐसी हरकतें नहीं करेंगे तो कब करेंगे?”
यह खबर कभी बाहर भी नहीं आती अगर तेजस्वी यादव और तेज़ प्रताप के साथ गए गार्ड की सरकारी पिस्तौल छिनी न गई होती. दरअसल युवकों ने इन दोनों की पिटाई के साथ पुलिस गार्ड की भी पिस्तौल छिन ली थी. सरकारी हथ्यार गायब होने के कारण मामला पुलिस में दर्ज़ करना पड़ा था. हालाँकि बाद में न तो लालू परिवार की तरफ से कोई शिकायत दर्ज़ हुई और न ही लड़की वालों की तरफ से. बात करें हथ्यार के छीने जाने की तो वो मामला रिपोर्ट लिखने के साथ ही दफ़न कर दिया गया.