भारतीय क्रिकेट इतिहास के यह 5 छक्के जो कभी नहीं भुलाये जा सकते

5 sixes indian fans can never forget: सर डोनाल्ड ब्रेडमैन को क्रिकेट का सबसे महान बल्लेबाज बताया जाता हैं. उन्होंने अपने पुरे जीवन में 35000 से ज्यादा रन बनाए थे, इसके बावजूद वह अपने पुरे कर्रिएर में मात्र 6 ही छक्के लगा पाए थे. उस जामने में छक्के को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता था. ज्यादातर बल्लेबाज़ गेंद को जमीन पर ही रखना चाहते थे, ऐसे में गलती से कोई गेंद हवा में उछलते हुए बॉउंड्री पार कर जाए तो अलग बात थी.

आज के समय में लोग T-20 के दीवाने हैं, 10 खिलाडियों को पूरा दिन बैटिंग करने की चिंता नहीं बल्कि 20 ओवर्स में ज्यादा से ज्यादा रन बनाने की चिंता होती हैं. ऐसे में आज के वक़्त में एक एक खिलाड़ी एक ही मैच में 6 से ज्यादा तो कई बार एक ही ओवर में 6 छक्के मारने में कामयाब हो जाता हैं.

ऐसे में आज हम भारतीय क्रिकेट इतिहास के उन 5 छक्कों की बात करने जा रहें हैं. जिन्हे कोई भी भारतीय क्रिकेट फैन भुला नहीं सकता. निदहास ट्रॉफी फाइनल 2018 में बांग्लादेश लो 166 रन की पारी का पीछा करते हुए भारतीय टीम को जीत के लिए आखिरी गेंद पर 5 रन की जरूरत थी और इसी के साथ दिनेश कार्तिक ने छक्का मारकर भारतीय टीम को मैच जीतवा दिया था.

2011 में राहुल द्रविड़ ने इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला और आखिरी T20 मैच खेल रहे थे. जिसमें उन्होंने समित पटेल के 11वें ओवर में उन्होंने 3 लगातार छक्के जड़कर सबको हैरान कर दिया था. क्योंकि राहुल द्रविड़ छक्के मारने में ज्यादा विश्वास नहीं रखते थे.

मुल्तान टेस्ट में पाकिस्तान के खिलाफ तिहरा शतक जड़ने वाले वीरेंदर सहवाग जब 295 के स्कोर पर पहुंचे तो सबको लग रहा था. सहवाग अपने 300 रन इक्का-दुक्का रन लेते हुए पूरा करेंगे, लेकिन वीरेंदर सहवाग ने 295 के स्कोर पर छक्का मारकर अपने नाम यह रिकॉर्ड कर लिया था. इसी के साथ वह भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक पारी में पहले 300 रन बनाने वाले बल्लेबाज़ बन गए थे.

2007 के पहले टी-20 वर्ल्ड कप में युवराज सिंह द्वारा लगाए गए छह छक्कों को आखिर कौन भुला सकता हैं? युवराज सिंह के मैदान पर आने से पहले 36 के स्कोर पर 3 बल्लेबाज़ आउट हो चुके थे. ऐसे में युवराज सिंह ने स्टुअर्ट ब्रॉड की गेंद ऐसे 6 गेंदों पर 6 छक्के मारे की जैसे वह कोई किसी गली का गेंदबाज़ हो.

2011 में वर्ल्ड कप जीते हुए भारत को 28 साल हो चुके थे. ऐसे में मुंबई का वानखेड़े स्टेडियम में भारत और श्री लंका वर्ल्ड कप की ट्रॉफी जीतने के लिए संघर्ष कर रहे थे. श्रीलंका ने भारत को 275 रनों के लक्ष्य दिया था जिसका पीछा करते हुए धोनी ने कप्तानी पारी खेली और नुवान कुलसेखरा की गेंद पर छक्का लगाकर भारत में 28 साल से पड़े वर्ल्ड कप के सूखे को खत्म कर दिया था.

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