eid 2018 celebration india: मुसलमानों का त्योहार Eid-Ul-Fitr इस्लाम के उपवास के महीने रमज़ान को समाप्त करते हुए मनाया जाता है. पहला Eid-Ul-Fitr पैगम्बर मुहम्मद ने Jung-e-Badar के बाद मनाया था. Eid-Ul-Fitr शव्वल इस्लामी calender के दसवें महीने के पहले दिन मनाया जाता है. इस्लामी calender के सभी महीनों की तरह यह भी नए चांद के दिखने पर शुरू होता है.
Eid 2018 celebration india
मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा करते है
इस Eid में मुसलमान 30 दिनों के बाद पहली बार दिन में खाना खाते हैं. उपवास की समाप्ति की खुशी के अलावा, इस Eid में मुसलमान Allah का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि उन्होंने महीने भर के उपवास रखने की शक्ति दी. Eid प्यार और सद्भावना का त्योहार है. Eid के दौरान बढ़िया खाने के अतिरिक्त, नए कपड़े भी पहने जाते हैं, और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों का आदान-प्रदान होता है.
साधन-संपन्न लोगों ने रंगारंग
Eid-Ul-Fitr के दौरान ही झगड़ों ख़ासकर घरेलू झगड़ों को निबटाया जाता है. ईद के दिन मस्जिद में सुबह की प्रार्थना से पहले, हर मुसलमान का फ़र्ज़ है कि वो दान या भिक्षा दे. Eid-Ul-Fitr’ दरअसल दो शब्द हैं. ‘Eid’ और ‘Fitr’. असल में ‘Eid’ के साथ ‘फितर’ को जोड़े जाने का एक खास मकसद है. वह मकसद है Ramadan में जरूरी की गई रुकावटों को खत्म करने का ऐलान.
साथ ही छोटे-बड़े, अमीर-गरीब सबकी Eid हो जाना. यह नहीं कि पैसे वालों ने, साधन-संपन्न लोगों ने रंगारंग, तड़क-भड़क के साथ त्योहार मना लिया व गरीब-गुरबा मुंह देखते रह गए.
Eid के बाद आप सामान्य दिनों की तरह दिन
शब्द ‘फितर’ के मायने चीरने, चाक करने के हैं और Eid-Ul-Fitr उन तमाम रुकावटों को भी चाक कर देती है, जो Ramadan में लगा दी गई थीं. जैसे Ramadan में दिन के समय खाना-पीना व अन्य कई बातों से रोक दिया जाता है. Eid के बाद आप सामान्य दिनों की तरह दिन में खा-पी सकते हैं. गोया Eid-Ul-Fitr इस बात का ऐलान है कि अल्लाह की तरफ से जो पाबंदियां माहे Ramadan में तुम पर लगाई गई थीं, वे अब खत्म की जाती हैं.
रमजान में जकात अदा करने की परंपरा
इसी fitr से ‘फितरा’ बना है फितरा यानी वह रकम जो खाते-पीते, साधन संपन्न घरानों के लोग आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को देते हैं. Eid की नमाज से पहले इसका अदा करना जरूरी होता है. इस तरह अमीर के साथ ही गरीब की, साधन संपन्न के साथ साधनविहीन की Eid भी मन जाती है. असल में Eid से पहले यानी Ramadan में जकात अदा करने की परंपरा है.
यह जकात भी गरीबों, बेवाओं व यतीमों को दी जाती है.इसके साथ फित्रे की रकम भी उन्हीं का हिस्सा है. इस सबके पीछे सोच यही है कि Eid के दिन कोई खाली हाथ न रहे, क्योंकि यह खुशी का दिन है.
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