लालकिले को निजी हाथों में सौंपने वाली सरकार ने हेडगेवार की समाधि को दिया पर्यटन स्थल का दर्जा..

Red Fort Private hand hand government: केंद्र की मोदी सरकार जब देश की राष्ट्रीय धरोहरों लाल किला और ताजमहल को निजी घरानों के हाथ में बेचने का फैसला ले रही थी उसी समय नागपुर में RSS के संस्थापक केशवराव बलिराम हेडगेवार के समाधि स्थल को पर्यटल स्थल का दर्जा दिया जा रहा था। एक तरफ सरकार पैसे की कमी का रोना रोकर राष्ट्रीय धरोहरों की नीलामी का अपराध कर रही है दूसरी तरफ ऐसे शख्स की समाधि के रखरखाव का खर्चा उठाने की जिम्मेदारी ले रही है जिसकी राष्ट्रीय और सामाजिक आंदोलन में भूमिका नगण्य है। और जो हिंदुत्व के नाम पर देश में नफरत और घृणा फैलाने के लिए जाना जाता है.

Red Fort Private hand hand government

Red Fort Private hand hand government

केशराव बलिराम हेडगेवार RSS के संस्थापक

नागपुर के जिलाधिकारी ने 17 अप्रैल को इस आशय की अधिसूचना जारी की। जिसके तहत उसने कहा है कि रेशमीबाग स्थित हेडगेवार स्मृति मंदिर परिसर को क वर्ग के पर्यटन स्थल का दर्जा दिया जाता है। आपको बता दें केशराव बलिराम हेडगेवार RSS के संस्थापक थे और उन्होंने ही 1925 में इस संगठन की स्थापना की थी। हर साल दशहरा के दिन संगठन अपना स्थापना दिवस मनाता है.
लेकिन इस फैसले के साथ ही इसका विरोध भी शुरू हो गया है। और जिले के कई सामाजिक संगठन और व्यक्ति आगे आए हैं। इस सिलसिले में इन लोगों ने जिले के आला अधिकारियों को ज्ञापन दिया है।

RSS की समाज में भूमिका

उनका कहना है कि हेडगेवार की राष्ट्रीय आंदोलन में कोई भूमिका नहीं थी और न ही RSS ने समाज में ऐसी कोई भूमिका निभाई है जिसके लिए उसके संस्थापक को सरकार ऐसा सम्मान दे।
सात मई को नागपुर के कमिश्नर को सौंपे गए एक ज्ञापन में सामाजिक कार्यकर्ता मोहनिश जीवनलाल जबलपुरे ने इस अधिसूचना को निरस्त करने मांग की है। उन्होंने इस फैसले को लेने वाले पूर्व जिलाधिकारी सचिन कुर्वे को संघ परिवार का सदस्य बताया है। साथ ही आरोप लगाया है कि संघ और BJP से उनके नजदीकी रिश्ते रहे हैं.

Red Fort Private hand hand government

BJP सरकार ने उसे निजी हाथों में सौंप दिया

Red Fort Private hand hand government

उन्होंने अपने ज्ञापन में कहा है कि अंग्रेजों से लड़ाई लड़ने वाले बहादुरशाह जफर और हिंदुस्तान की राजधानी में स्थित लाल किला ये दोनों हमारे लिए शौर्य और सम्मान के प्रतीक रहे हैं। और आजादी के बाद लाल किला हमारी स्वतंत्रता की निशानी और शान रहा है। लेकिन BJP सरकार ने उसे निजी हाथों में सौंप दिया। इसके पीछे उसका मकसद लाल किले के ऐतिहासिक महत्व को कम करना है। और फिर स्वतंत्रता आंदोलन में जिसका रत्ती भर योगदान नहीं रहा है

उसके स्मृति मंदिर को पर्यटन स्थल का दर्जा देना आने वाली पीढ़ियों को गलत इतिहास बताने की कोशिश का हिस्सा है। उनका कहना है कि इस काम को इसी नजरिये से अंजाम दिया गया है.

और पढ़े: मोदी सरकार की नई योजना, अगर आपके के घर कोई बड़ा बुजुर्ग है तो उठा लो …

——

About dp

Check Also

3GB प्रतिदिन डाटा के साथ यह रिलायंस जिओ के कुछ सस्ते प्लान, पढ़ें पूरी खबर

नए साल के अवसर पर सभी टेलीकॉम कंपनियां अपने अपने ग्राहकों को लुभाने की कोशिश …