Indira Gandhi order turned: भारत के सच्चे सपूत और सेना के वीर अधिकारी भारतीय सेना के पूर्व अध्यक्ष Sam Manekshaw ने देश के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उनके नेतृत्व में भारत ने वर्ष 1971 में भारत और पाकिस्तान युद्ध में विजय हासिल की थी. इस कुशल सैनिक का जन्म 3 अप्रैल, 1914 को पंजाब में स्थित Amritsar में हुआ था. सैम की बहादुरी व शौर्य को देखकर लोग उन्हें ‘सैम बहादुर’ के नाम से पुकारते थे.
Indira Gandhi order turned
Padma विभूषण से हुए सम्मानित
Sam Manekshaw फील्ड मार्शल का सर्वोच्च पद रखने वाले दो भारतीय सैन्य अधिकारियों में से एक हैं. उनका शानदार military करियर ब्रिटिश इंडियन आर्मी से प्रारंभ हुआ और 4 दशकों तक चला जिसके दौरान पांच युद्ध भी हुए. सन 1969 में वे भारतीय सेना के आठवें सेनाध्यक्ष बनाये गए और उनके नेतृत्व में भारत ने सन 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में विजय प्राप्त की जिसके फलस्वरूप एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का जन्म हुआ.
उनके शानदार करियर के दौरान उन्हें अनेकों सम्मान प्राप्त हुए और सन 1972 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया.
इंदिरा गांधी को बोलते थे ‘स्वीटी’
Field Marshal Manekshaw सख्त फौजी होने के साथ-साथ अपनी शरारत और बेबाक मजाक के कारण भी जाने जाते हैं. वह तत्कालीन Prime Minister इंदिरा गांधी को स्वीटी कह कर बुलाते थे. 1971 की लड़ाई के लिए जब इंदिरा ने उनसे पूछा कि क्या वे युद्ध के लिए तैयार हैं.
तो उन्होंने कहा कि मैं हमेशा तैयार हूं. स्वीटी। मानेकशॉ ने इंदिरा से कहा कि वे तय करेंगे कि सेना कब युद्ध में जाएगी वह बिना तैयारी के जंग नहीं शुरू करेंगे. इंदिरा ने उनकी बात मान ली और दिसम्बर 1971 में भारत ने पाकिस्तान पर धावा बोला और मात्र 15 दिनों में पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया और 9000 पाकिस्तानी सैनिक बंदी बनाये गए.
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आजादी की लड़ाई में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
‘सैम बहादुर’ ने सन 1942 से लेकर देश की आजादी और विभाजन तक उन्हें कई महत्वपूर्ण कार्य दिए गए. सन 1947 में विभाजन के बाद उनकी मूल यूनिट पाकिस्तानी सेना का हिस्सा हो गयी जिसके बाद उन्हें 16वें पंजाब रेजिमेंट में नियुक्त किया गया. सन 1947-48 के जम्मू और कश्मीर अभियान के दौरान भी उन्होंने युद्ध निपुणता का परिचय दिया.
उनकी शानदार राष्ट्र सेवा के फलस्वरूप भारत सरकार ने मानेकशॉ को सन 1972 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया और 1 जनवरी 1973 को उन्हें ‘फील्ड मार्शल’ का पद दिया गया. 15 जनवरी, 1973 को मानेकशॉ सेवानिवृत्त हो गए और अपनी धर्मपत्नी के साथ कुन्नूर में बस गए.
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