No confidence motion: शिवसेना की फट गयी भाजपा से, पूरा सच जानने के लिए पढ़े ! केंद्र की भाजपा नीत NDA सरकार की आलोचना करने का कोई मौका न छोड़ने वाली शिवसेना अविश्वास प्रस्ताव (No confidence motion) की बात सामने आते ही पीछे हट गई है! इस तरह से उसने खुद साबित कर दिया है! कि उसके पास भाजपा (BJP, Government) का समर्थन करते रहने के सिवाय कोई और विकल्प नहीं है!
No confidence motion-
शिवसेना का खुद से ही ये ऐलान करना कि अविश्वास प्रस्ताव (No confidence motion) के समय उसके सांसद सदन से अनुपस्थित रहेंगे! साबित करता है कि वह दिखाना तो चाहती है! कि वह BJP से नाराज है! लेकिन भाजपा का नुकसान भी करने की स्थिति में वो नहीं है!
ध्यान रहे कि शिवसेना के लोकसभा (Loksabha) में 18 सांसद हैं! और 16 सांसदों वाली तेलुगू (Telugu) देशम के NDA से हट जाने के बाद उसकी ये सदस्य संख्या NDA के लिए काफी अहम हो जाती है! अगर शिवसेना भी TDP की तरह NDA सरकार के खिलाफ वोट करने का ऐलान कर देती! तो अविश्वास प्रस्ताव (No confidence motion) पर मतविभाजन में एकदम कांटे की लड़ाई हो जाती!
आंध्रप्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSR, Congress Party) ने वैसे भी भाजपा विरोध का माहौल बना रखा है! ऐसी सूरत में अगर शत्रुघ्न सिन्हा (Satrughan Sinha) और कीर्ति आजाद (Kirti Ajad) जैसे कुछ असंतुष्ट भाजपाई सांसद, और कुछ गुजरात (Gujraat) तथा आंध्रप्रदेश (Andhra pradesh) के कांग्रेस में उम्मीदें देख रहे भाजपाई सांसद ऐन मौके पर अपनी सरकार के खिलाफ हो जाते! तो मोदी सरकार का हश्र भी 1998 की वाजपेयी सरकार (Vajpai Government) की तरह ही हो सकता था जो कि 1 वोट से गिर गई थी!
शिवसेना की मजबूरी –
वास्तव में शिवसेना (Shivsena) बहुत मजबूर स्थिति में फंसी है! महाराष्ट्र (Maharashtra) में वह भाजपा से कनिष्ठ पार्टी हो चुकी है! अक्टूबर 2014 में हुए विधानसभा (Assembly) चुनावों में भाजपा अकेले दम पर बहुमत पाने से केवल 23 सीटें पीछे रह गई थी! 288 के सदन में उसके 122 सदस्य (122 Member) हैं! शिवसेना उससे काफी पीछे छूट गई थी और उसके केवल 63 सदस्य विधानसभा (63 Assembly member) में हैं!
त्रिशंकु विधानसभा (Hung Assembly) में नाराजगी के बावजूद शिवसेना भाजपा को समर्थन देने पर मजबूर हुई! क्योंकि BJP ने 41 विधायकों वाली NCP पर डोरे डालने शुरू कर दिए थे! अब शिवसेना को महाराष्ट्र (Maharashtra) में सत्ता में भागीदारी चाहिए! तो उसे भाजपा से बनाकर चलनी ही पड़ेगी!
कुल मिलाकर, महाराष्ट्र की मजबूरियों के कारण शिवसेना (Shivsena) BJP से अलग होने की स्थिति में न कभी थी और न अभी है! भाजपा भी उसकी ये असलियत जानती है! इसलिए वो शिवसेना की धमकियों (Threats) को गीदड़ भभकी की तरह लेती है!
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