रावण शक्तिशाली और विद्वान तथा बहु-विद्याओं का जानकर था। उसे मायावी इसलिए कहा जाता था कि वह इंद्रजाल ,तंत्र और तरह तरह के जादू जानता था। रावण के पास ऐसी शक्तियां थी जिससे वह किसी को भी वश में कर सकता था। अगर आप ने रामायण ध्यान से देखी होगी तो आप ने देखा होगा की रावण के सिंहासन के पास रावणके पैर की नीचे नील रंग की प्रीतिमा दिखाई देती है लेकिन आप यह जान कर हैरान हो जाएंगे की वो सिर्फ एक प्रीतिमा नहीं बल्कि एक जीवत शख्श है।
रावण ने बल से सभी ग्रहो को अपना बंदी बना लिया था और रावण सब कुछ अपनी इच्छा अनुसार चाहता था इसलिए उसने सभी ग्रहो को अपने अधीन कर लिया था। रामायण में रावण के पैर के नीचे दबा हुआ नील रंग के शख्स के बारे में आप जान कर हैरत में पड़ जाएंगे। आज आप को इसके बारे में जानकारी देने जा रहे है।
जाने नील रंग के शख्स के बारे :
शाश्त्रो के जानकारों का कहना है कि रामायण में रावण के पैर के नीचे नीले रंग का जो शख्स दिखाई देता है, वो कोई और नहीं बल्कि न्याय के देवता शनि देव हैं। शनि देव रावण के सिंहासन के ठीक नीचे पैरों की जगह उल्टे लेटे दिखाई पड़ते हैं और रावण उनकी कमर पर पैर रखकर बैठता था। शाश्त्रो में इसकी भी अपनी कहानी बताई जाती है।
पौराणिक कथा के अनुसार रावण ने अपने बल से सभी ग्रहो को बंदी बना रखा था। रावण के पुत्र इंद्रजीत का जन्म होने वाला था और रावण की इच्छा थी कि उसके पुत्र के जैसा बलवान पूरी दुनिया में कोई न हो जिसके लिए रावण ने सभी ग्रहो को अपना बंदी बना लिया था। रावण ने अपनी विद्या से शनि देव को बंदी बना लिया था। अपने पुत्र की कुंडली में सभी ग्रह रावण के अनुसार चले इसीलिए रावण ने सभी ग्रहो को बंदी बना लिया था लेकिन शनि देव बार बार अपनी चाल बदल रहे थे जिसके कारण रावण ने शनिदेव को अपने पैरो की नीचे दबा लिया था।
जाने कैसे हुई शनि देव जी की मुक्ति :
एक कथा के अनुसार जब हुनमान जी माता सीता के लिए भगवान राम का संदेश लेकर आये थे तब हनुमान जी ने लंका दहन के समय शनि देव जी को मुक्त करवाया था। कहा जाता है की ठीक लंका दहन से पहले रावण ने शनि देव को कारागृह में उल्टा लटका दिया था जिसकी वजह से शनि देव को बहुत पीडा हो रही थी। हुनमान जी ने शनि देव को इस पीड़ा देख उनकी तेल से मालिश की और उन्हें मुक्त करवाया , जिससे खुश हो कर शनि देव जी ने कहा था जो भी हनुमान भक्त मुझ पर तेल चढ़ायेगा मेरी किरपा उसपर सदा बनी रहेगी।