टाटा मोटर्स ने वर्ष 2008 में इसी दिन अमेरिकी कार कंपनी फोर्ड से जगुआर और लैंड रोवर जैसे दो लक्जरी कार ब्रांडों का स्वामित्व खरीदा था। यह सौदा न केवल टाटा मोटर्स के लिए एक बड़ी व्यावसायिक सफलता थी, बल्कि यह रतन टाटा की व्यक्तिगत जीत भी थी। . बिड़ला प्रिसिजन के चेयरमैन वेदांत बिड़ला ने आज सुबह ट्विटर पर बताया कि कैसे रतन टाटा ने इस सौदे के जरिए फोर्ड से ‘बदला’ लिया।
उन्होंने लिखा, “फोर्ड पर टाटा, फोर्ड पर टाटा, खासकर रतन टाटा जी की बदला लेने की कहानी वास्तव में एक बड़ी सफलता की कहानी है।” वेदांता ने कहा कि टाटा मोटर्स ने 1998 में टाटा इंडिका कार लॉन्च की थी। यह भारत की पहली स्वदेशी कार थी। यह रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट था, लेकिन लॉन्च के बाद इस कार को शुरुआत में सफलता नहीं मिली।
उन्होंने आगे कहा कि टाटा मोटर्स ने कम बिक्री के कारण टाटा इंडिका के लॉन्च के एक साल के भीतर अपने कार कारोबार को बेचने का फैसला किया। वेदांता ने कहा, “उन्होंने 1999 में अमेरिकी दिग्गज फोर्ड से बात करके सौदा करने की कोशिश की।” वेदांता ने कहा, “रतन टाटा और उनकी टीम बिल फोर्ड से मिलने अमेरिका गई थी, जो उस समय फोर्ड के चेयरमैन थे।” उन्होंने बताया कि रतन टाटा के लिए यह मुलाकात अपमानजनक अनुभव रही।
वेदांता ने कहा, “बिल फोर्ड ने उपहासपूर्ण टिप्पणी की और कहा कि जब टाटा को कार उत्पादन के बारे में कोई जानकारी नहीं है, तो उन्हें इस क्षेत्र में प्रवेश करने की क्या आवश्यकता थी। फोर्ड ने यह भी कहा कि अगर हम टाटा की कार इकाई खरीदते हैं, तो यह होगा उन पर कृपा करो।”
वेदांता ने कहा कि टाटा और फोर्ड के बीच यह डील नहीं हो सकती। हालांकि इस मुलाकात के कड़वे अनुभवों ने रतन टाटा को पहले से ज्यादा अपने लक्ष्य पर केंद्रित कर दिया। इसके साथ ही रतन टाटा ने टाटा मोटर्स को नहीं बेचने का फैसला किया। वेदांत ने कहा, “आगे जो हुआ वह इतिहास है और यह सबसे प्रेरक कहानियों में से एक है कि कैसे व्यापार जगत में असफलता को सफलता में बदला जाए।”
टाटा इंडिका देश की सबसे सफल कारों में से एक साबित हुई और अगले नौ वर्षों में चीजें पूरी तरह से बदल गईं। 2008 में, जब दुनिया भर में मंदी थी, फोर्ड दिवालिया होने के कगार पर थी। यह वह समय था जब टाटा ने फोर्ड के दो सबसे लक्ज़री और ऐतिहासिक कार ब्रांड – जगुआर और लैंड रोवर खरीदने की पेशकश की।
नकदी की तंगी से जूझ रही फोर्ड ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और 2 जून 2008 को टाटा मोटर्स ने इन दोनों ब्रांडों को 2.3 अरब डॉलर के सौदे में खरीद लिया। उस समय फोर्ड के अध्यक्ष बिल फोर्ड ने वेई टाटा को धन्यवाद देते हुए कहा, “जगुआर और लैंड रोवर खरीदकर आप हम पर बहुत बड़ा एहसान कर रहे हैं।”