भारत विरोधी संस्था आईएएमसी के कार्यक्रम में शामिल हुए हामिद अंसारी और स्वरा भास्कर

26 जनवरी के मौके पर वर्चुअल कार्यक्रम में शामिल हुए पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी।
कार्यक्रम की आयोजक संस्था ‘इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) है। इस कार्यक्रम में अभिनेत्री स्वरा भास्कर भी शामिल हुई थीं। वर्चुअल कार्यक्रम में उन्होंने विवादित बातें कहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि देश में असहिष्णुता बढ़ रही है।

कार्यक्रम की आयोजक संस्था ‘इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल’ (IAMC),संस्था पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई व भारत में दंगे कराने की साजिश से जुड़ी बताई जाती है। इस वर्चुअल कार्यक्रम में 4 अमेरिकी सांसद, एक्ट्रेस स्वरा भास्कर के अलावा अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग के प्रमुख भी शामिल थे। इसके पहले भी पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी कई पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की आलोचना कर चुके हैं।

डिसइन्फो लैब द्वारा हाल ही में किए गए एक खुलासे के अनुसार, इस संस्था के संस्थापक शेख उबैद ने रोहिंग्या मुस्लिमों के नाम पर फंड्स जमा किए और ‘अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF)’ में भारत को ब्लैकलिस्ट कराने के लिए लॉबिंग की थी और इसके लिए रुपए भी खर्च किए थे। ये संस्था दावा करती है कि ये अमेरिका में भारतीय मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व करती है।

इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल के कार्यक्रम का विषय ‘भारत के बहुलतावादी संविधान का संरक्षण’ पर अधारित था। इस कार्यक्रम में पूर्व उप-राष्ट्रपति ने देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत भरे भाषणों, गैर कानूनी गतिविधियों और कश्मीरी कार्यकर्ता खुर्रम परवेज की गिरफ्तारी जैसे मुद्दों को हवा दी। बता दें कि केंद्र सरकार पहले ही इस मुद्दे पर अपनी सफाई पेश कर चुकी है। भारत सरकार के मुताबिक, भारत की संसदीय प्रणाली और कानून पूरी तरह से पारदर्शी हैं। नियमित और पारदर्शी ढंग से चुनाव कराए जाते हैं।

पूर्व उपराष्ट्रपति अंसारी ने भी हिंदू राष्ट्रवाद की बढ़ती प्रवृत्ति पर अपनी चिंता व्यक्त की। अंसारी ने आरोप लगाया, ‘‘हाल के वर्षों में हमने उन प्रवृत्तियों और प्रथाओं के उद्भव का अनुभव किया है, जो नागरिक राष्ट्रवाद के सुस्थापित सिद्धांत को लेकर विवाद खड़ा करती हैं और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की एक नई एवं काल्पनिक प्रवृति को बढ़ावा देती हैं। वह नागरिकों को उनके धर्म के आधार पर अलग करना चाहती हैं, असहिष्णुता को हवा देती हैं और अशांति एवं असुरक्षा को बढ़ावा देती हैं।’’

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