America is angry at Imran’s sympathy with Taliban: अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने और वहां से अमेरिकी सैनिकों की शर्मनाक वापसी के बाद पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा चरम पर है. सामरिक समुदाय और अमेरिकी सांसद पाकिस्तान को सजा देने की मांग कर रहे हैं. बता दें कि उन्हें पूरा भरोसा है कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है उनका भरोसा तोड़ा है.
गौरतलब है कि 2008 से 2011 तक अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत हुसैन हक्कानी मीडिया को बताते हैं ‘अमेरिकियों का मानना है कि पाकिस्तान द्वारा तालिबान (Taliban) को दिए गए समर्थन की वजह से ही अफगानिस्तान में अमेरिकी प्रतिष्ठा चकनाचूर हुई है. इसके मुख्य कारणों में से एक यह है कि पाकिस्तान में तालिबान को अभेद्य अभयारण्य मिल गया था.’
पाकिस्तान पर लगेंगे प्रतिबंध
आपको जानकर हैरानी होगी कि अमेरिकी राष्ट्रपति पद संभालने के 6 महीने बाद भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) से बात तक नहीं की है. एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक बताती हैं कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल का कमर जावेद बाजवा ने हाल ही में सेवानिवृत्ति के बाद यह चिंता जाहिर की है कि पाकिस्तान को अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है.
उन्होंने आगे बताया कि हाल ही के इतिहास में अमेरिका को हुए सबसे चौंकाने वाले नुकसान का ही नतीजा है कि जो बिडेन ने इस्लामाबाद से मुंह फेर लिया है. आगे वह कहते हैं कि अमेरिकी सैनिक लौटाए हैं. ऐसे में राजनीतिक विवेक यह कहता है कि बिडेन प्रशासन को पाकिस्तान के जनरल और राजनेताओं की भरोसा तोड़ने के लिए जवाबदेही तय करनी चाहिए और पाकिस्तान पर कार्यवाही करने के लिए अमेरिकी प्रशासन और राष्ट्रपति पर बहुत ज्यादा दबाव है.
बता दें कि पाकिस्तान के आतंकियों के पनाहगार बन जाने के बाद अमेरिका को बहुत ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा है. गौरतलब है कि पाकिस्तान उन देशों में से एक है जिससे अमेरिका ने एक प्रमुख गैर नाटो सहयोगी का दर्जा दिया था. वहीं पाकिस्तान भी अमेरिका द्वारा दंडित किए जाने के खतरे से भलीभांति अवगत है और यही कारण है कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोहित यूसुफ ने वाशिंगटन से पाकिस्तान को बलि का बकरा नहीं मानने के लिए कहा है.