तालिबान (Taliban) के ऊपर दबाव बनाए रखने के लिए भारत (India) कई मुस्लिम एवं खाड़ी देशों के अलावा अमेरिका रूस सहित अन्य प्रभावशाली देशों के लगातार संपर्क में हैं ऐसे में तालिबान के भारत से संबंध में अपनी भूमिका को फिलहाल सीमित रखा हुआ है भारत की रणनीति यह है कि तालिबान की सरकार में सभी ग्रुप को प्रतिनिधित्व हो और पाकिस्तान का असर कम से कम हो भारत यह बिल्कुल नहीं चाहता है कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान की आईएसआई के प्रभाव वाली कठपुतली की सरकार बन जाए!
जानकारी के अनुसार भारत ने ईरान यूएई कतर के अलावा अमेरिका और रूस जैसे देशों के साथ अफगानिस्तान के मामले पर संपर्क बनाए रखा है भारत को कूटनीतिक रूप से लगातार सक्रिय हैं! सूत्रों ने यह भी कहा है कि भारत की भूमिका अफगानिस्तान की नई सरकार के कदमों पर ही निर्भर करने वाली है! भारत अपने हितों के मद्देनजर शांति स्थिरता और विकास के साझा मूल्यों के ऊपर फोकस कर रहा है साथ ही उसकी पूरी कोशिश यह है कि अफगानिस्तान आतंकियों के लिए स्थाई पनाहगाह ना बन जाए!
वहीं दूसरी ओर सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान की आईएसआई है चाहती है कि तालिबान हुकूमत में उसका पूरा असर देखने को मिले अगर ऐसा हो जाता है तो भारत के लिए चुनौती बढ़ जाएगी क्योंकि पाकिस्तान में आतंकी अड्डों की वजह से कश्मीर में लगातार घुसपैठ और आतंकवाद से जूझ रही सेना सुरक्षा बलों को दौरे फ्रंट पर अब काम करना पड़ जाए यदि तालिबान आतंकी आईएसआई के गठजोड़ करके इस इलाके में ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं तो इसका पूरा आंसर हिंद महासागर पर ही पड़ेगा!
जानकारों का यह कहना है कि तालिबान के इस मसले पर मुस्लिम देशों एकमत नहीं है देशों को तालिबान से परहेज भले ही ना हो लेकिन कट्टरपंथ को लेकर राय अलग-अलग है!