Said: ‘Give us refugee cards settle and also have the right to a job’: अफगानिस्तान से आए कई शरणार्थियों ने नई दिल्ली में ‘संयुक्त राष्ट्र हाई कमिश्नर फॉर रेफ्यूजीज’ के सामने जाकर विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने इस दौरान माँग की कि सभी शरणार्थियों को रिफ्यूजी कार्ड दिए जाएँ. साथ ही उन्होंने किसी विकासशील देश में उन्हें बसाए जाने की योजना लाने की भी माँग की. अपने मुल्क में तालिबान की प्रताड़ना से बच कर आए अफगान शरणार्थियों ने ‘यूनाइटेड नेशंस कमिश्नर फॉर रिफ्यूजीज (UNHCR)’ व भारत सरकार से अपनी सुरक्षा के लिए आश्वासन भी मांगा.
भारत में अफगानी शरणार्थियों के प्रमुख अहमद जिया गनी ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि देश में फ़िलहाल 21,000 अफगान शरणार्थी हैं. उन्होंने कहा कि इन सबके पास अब अपने मुल्क लौटने का कोई कारण ही नहीं बचा है. उन्होंने कहा कि अफगान शरणार्थियों के पास नौकरी व शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएँ नहीं हैं. उन्होंने ‘लॉन्ग टर्म वीजा’ की भी माँग की. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत आने वाले अफगानियों को ई-वीजा दिया जाएगा.
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद कई अफगान नागरिकों को अपने जान का खतरा है और वो मुल्क छोड़ कर भाग रहे हैं। ऐसी स्थिति में भारत सरकार यहाँ आने की आने की इच्छा रखने वालों को आपात स्थिति के तहत वीजा दे सकती है, जो पहले 6 महीने के लिए वैध रहेगा। ऑनलाइन याचिकाओं पर नई दिल्ली में विचार किया जाएगा। हालाँकि, भारत (India) ने यूएन रिफ्यूजी कन्वेंशन पर हस्ताक्षर नहीं किए थे.
वही एक 10 वर्षीय अफगान शरणार्थी ज़रीफ़ा ने कहा, “हम 2016 में यहाँ पहुँचे थे. हम कनाडा में फिर से बसना चाहते हैं. मैं पढ़ना चाहती हूँ. अब अफगानिस्तान वापस जाना हमारे लिए संभव नहीं है. तालिबान हमारी हत्या कर देगा.” एक अफगान शरणार्थी मसला ने कहा कि वह अमेरिका में फिर से बसना चाहती हैं. वह अपने परिवार के साथ पिछले 7 वर्षों से भारत में रह रही है. हाल ही में कनाडा के दूतावास के बाहर भी अफगानी शरणार्थियों ने प्रदर्शन किया था.
वहीं दूसरी ओर अफगानिस्तान में कब्जा करने के बाद पहली बार तालिबान ने सीधे-सीधे अमेरिका को चुनौती दे दी है. तालिबान ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि,’अगर अमेरिका 31 अगस्त 2021 तक अफगानिस्तान से अपनी सेनाओं को वापस नहीं बुलाता है तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.’ तालिबान ने अमेरिका से 31 अगस्त तक अफगानिस्तान छोड़ने के अपने वादे को पूरा करने को कहा है. इसके साथ ही तालिबान ने यह भी कहा है कि अमेरिका के पूरी तरह से अफगानिस्तान छोड़ने के बाद ही तालिबान सरकार बनाएगा.