India conducted its ‘secret mission’: अफगानिस्तान में पूरी तरह से तालिबान (Taliban) का अधिपत्य हो चुका है. ऐसी स्थिति में भारतीयों के मन में एक डर की स्थिति आ चुकी है जो लोग वहां फंसे थे उन्हें निकालना भारतीय सरकार के लिए किसी कठिन अभियान से कम नहीं था. चारों तरफ डर के वातावरण के बीच अफगानिस्तान की स्थिति यह है कि वहां किसी भी अप्रत्याशित दिशा से एके-47 की गोली मौत के घाट उतार सकती है जिसकी कोई भी जिम्मेदारी और जवाबदेही नहीं लेगा. इन सब के बावजूद भारत सरकार ने अफगानिस्तान में फंसे अपने भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकालकर भारत लाने का सफल मिशन पूरा किया.
हम आपको बता दें कि इन सब के पीछे मुख्य भूमिका में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jayshankar) और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) की थी जिन्होंने इस असंभव दिखने वाले मिशन को संभव कर दिखाया है.
गौरतलब है कि भारत सरकार के के लिए सबसे बड़ी मुश्किल यह थी कि अफगानिस्तान में वह किसी भी सरकार से मदद नहीं ले सकते थे. ऐसे में विदेश मंत्रालय इन लोगों को निकालने के लिए स्वयं ही प्लानिंग किए जिससे तालिबानी प्रशासन भी अनभिज्ञ था. भारत सरकार ने अफगानिस्तान में अपने जासूसों पर ही भरोसा किया. सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि किसी भी तरीके से उन लोगों को काबुल एयरपोर्ट पर पहुंचाया जाए जो कि डर के कारण भारतीय दूतावास में घुसे हुए थे.
सूत्रों के मुताबिक इस दौरान भारत की कूटनीति का एक बार फिर परचम लहराता दिखा. वहां अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों ने भी भारतीय अधिकारियों और नागरिकों को भारत वापसी के इस मिशन में सहयोग दिया. इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल अमेरिकी रक्षा मंत्री एंटनी लिंकन के साथ संपर्क में थे.
हम आपको बता दें कि भारत ने सीक्रेट मिशन को पूरा कर अपने नागरिकों की सुरक्षा पूर्वक देशवा वापसी सुरक्षित कि. तालिबान के अतिसक्रिय होने के बावजूद उनके आतंकियों को इस बात की भनक तक नहीं लगी जो कि भारत सरकार के लिए एक सकारात्मक बात है. इस पूरे मिशन में मुख्य भूमिका विदेश मंत्री एस जयशंकर की थी और हमेशा की तरह उन्होंने अपने कूटनीतिक कौशल का बेहतरीन परिचय दिया.