जिससे लगता था ममता बनर्जी को डर, उसे कोलकाता हाई कोर्ट का बना दिया स्थाई जज

Who felt scared of Mamata Banerjee: अभी-अभी पश्चिम बंगाल में एक दिलचस्प घटना घटी है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी (Mamta Banergee) को जिस जज से डर लगता है, वह कलकत्ता हाइकोर्ट के स्थायी जज बना दिये गये हैं. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने मंगलवार को इस जज को कलकत्ता हाइकोर्ट का स्थायी जज बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. इस जज का जन्म है जस्टिस कौशिक चंद. यह अब तक कलकत्ता हाइकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में काम कर रहे थे.

बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के एक महीने बाद ही जस्टिस कौशिक चंद (Kaushik Chanda) सुर्खियों में आये थे. तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी पूर्वी मेदिनीपुर के नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव हार गयीं थीं. अपनी हार को उन्होंने मानने से इनकार कर दिया और फिर उन्होंने हाइकोर्ट में फिर से मतगणना कराने की अपील की. यह केस सुनवाई के लिए जस्टिस कौशिक चंद की अदालत में लिस्ट की गयी थी.

ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने इस पर आपत्ति दर्ज करा दी. कहा कि जस्टिस कौशिक चंद का भारतीय जनता पार्टी (BJP) से पुराना नाता रहा है. तृणमूल कांग्रेस के सीनियर लीडर्स ने यहां तक कहा कि कौशिक चंद जज बनने से पहले भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता थे. वहीं दूसरी ओर जस्टिस कौशिक चंद ने इसका खंडन किया. उन्होंने कहा कि वकील के रूप में उन्होंने बीजेपी का कोर्ट में पक्ष रखा था. कभी वह बीजेपी के सदस्य नहीं रहे.

नंदीग्राम केस की सुनवाई मैं थे जस्टिस कौशिक चंद

तृणमूल कांग्रेस से जुड़े वकीलों ने जस्टिस कौशिक चंद का विरोध किया. ममता बनर्जी ने खुद वकील के माध्यम से अपील दायर की और कहा कि जस्टिस कौशिक चंद को उनके केस से अलग किया जाये. इस पर जस्टिस कौशिक चंद ने तृणमूल सुप्रीमो से पूछा था कि जब आपको दूसरी पार्टी के वकील मंजूर हैं, तो किसी और पार्टी का जज मंजूर क्यों नहीं. सर बाद में बाद में जस्टिस कौशिक चंद ने खुद को इस केस से अलग कर लिया था, लेकिन उन्होंने बंगाल की मुख्यमंत्री पर एक जज की निष्ठा पर सवाल उठाने के लिए 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.

गौरतलब है कि ममता बनर्जी नंदीग्राम में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) से 2 हजार से भी कम वोटों के मामूली अंतर से हार गयीं थीं. चुनाव में पराजित होने के बाद भी ममता बनर्जी लगातार तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं, क्योंकि उनकी पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आयी थी. इसी कारण उन्होंने नंदीग्राम विधानसभा सीट पर पुनर्मतगणना की मांग की है और इस केस की सुनवाई कलकत्ता हाइकोर्ट में चल रही है.

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