Who defeated Jyotiraditya Scindia now got a big responsibility: बसे ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Sindhiya) के अंतर्मन में मंत्री बने हैं तब से एक आदमी की चर्चा जोरों पर रही है. सिंधिया को उन्हीं के घर में हराने वाले बीजेपी सांसद के पी यादव हमेशा से चर्चा के केंद्र बिंदु बने हुए हैं. हमेशा बीजेपी नेतृत्व को इस सवाल का सामना करना पड़ रहा था कि सिंधिया जब मंत्री बन सकते हैं तो उन्हें हराने वाले सांसद को कोई पद क्यों नहीं मिल रहा है.
गौरतलब है कि इसी कड़ी कड़ी मैं बीजेपी ने अब सांसद के पी यादव (KP Yadav) को मध्यप्रदेश में एक बड़ी जिम्मेदारी दे दी है. राज्य बीजेपी की नई टीम में केपी यादव और प्रवक्ता की जिम्मेदारी संभालेंगे. प्रदेश अध्यक्ष विन्नू दत्त शर्मा ने नई टीम का ऐलान करते हुए केपी शर्मा को अशोकनगर से प्रवक्ता बनाया है. इससे पहले केपी शर्मा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को केंद्र मंत्री बनने पर बधाई दी थी और अपने क्षेत्र के लिए नियमित हवाई सेवा की मांग की थी.
बता दें कि सांसद के पी यादव पहले सिंधिया परिवार के ही करीबी माने जाते थे यहां तक कि के पी यादव सिंधिया के सांसद प्रतिनिधि भी रह चुके हैं बाद 2018 में तब बिगड़ी जब मुंगावली सीट उपचुनाव में केपी यादव ने अपना दावा ठोक दिया और सिंधिया से टिकट की मांग कर बैठे सिंधिया ने इसके लिए जब मना किया तो दोनों के बीच मनमुटाव शुरू हो गए. के पी यादव ने कांग्रेस (Congress) छोड़ बीजेपी में खुद को सम्मिलित कर लिया.
वहीं 2019 में बीजेपी ने के पी यादव पर बड़ा दांव चला और उन्हें गुना संसदीय क्षेत्र से सिंधिया के सामने उतार दिया. के पी यादव यहां अपना पूरा दमखम लगा दी और चुनाव के बाद आए परिणाम में सिंधिया को सवा लाख वोटों से शिकस्त दी. इसके बाद के पी यादव का कद काफी ज्यादा बढ़ गया लेकिन सिंधिया ने जैसे ही कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा और केंद्र में मंत्री बन बैठे. लोग के पी यादव के लिए सवाल उठाने लगे तो अब जाकर पार्टी ने उन्हें मध्यप्रदेश में प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी है.
वहीं दूसरी ओर सिंधिया भी लगातार चर्चाओं में बने हुए हैं. मंत्री पद के बाद अब उन्हें अपना मनपसंद बांग्ला चाहिए. जिसके लिए पूर्व मंत्री शिक्षा रमेश पोखरियाल निशंक मना कर चुके हैं. दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया को लुटियन दिल्ली के 27 सफदरगंज रोड का बंगला चाहिए. जिसमें पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल रह रहे हैं. निशंक ने बंगला खाली करने से मना कर दिया है. सिंधिया के पिता जब मंत्री थे तो इसी बंगले में रहने के लिए आए थे इसलिए सिंधिया भी इसी बंगले में रहना चाहते हैं. साल 2019 तक ज्योतिरादित्य सिंधिया विषय बंगले में रहते थे लेकिन चुनाव में हार के बाद उन्हें यह बंगला खाली करना पड़ गया था.