Despite being a member of Simon Commission wanted India’s independence: 1947 में जब भारत आजाद हुआ था तो उस वक्त ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लिमेंट एटली थे. एटली साइमन कमीशन (Simon Commission) के सदस्य के तौर पर 1927-28 ने पहली बार भारत पहुंचे थे. उस वक्त वह सांसद थे. वह शुरू से ही भारत की आजादी के पक्ष में थे. 1945 में एटली ने उस वक्त के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल को हराया था और प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे. इसी के साथ भारत के लिए आजादी के रास्ते खुल गए थे. प्रधानमंत्री बनने के बाद एटली ने ‘इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट’ (Indian Independence Act) पर हस्ताक्षर किए आजादी में उनकी भूमिका के कारण ही उनके पोते जॉन एटली भारत से खास लगाव रखते हैं.
बता दें कि जॉन एटली ब्रिटेन के हाउस ऑफ लार्ड्स के सांसद हैं. वह गर्व से कहते हैं कि उनके परिवार का नाम भारत जैसे लोकतांत्रिक देश की आजादी के साथ जुड़ा है. समाचार पत्र दैनिक भास्कर में छपे एक लेख के अनुसार वह बताते हैं कि,’उनके दादा बेहद ही सरल स्वभाव के थे. अपने दादा के व्यवहार को देखते हुए उन्हें बचपन में लगता था कि सब के दादाजी प्रधानमंत्री होते होंगे.
एटली के अनुसार जब मैं बड़ा हुआ तो जानकर हैरान रह गया कि मेरे दादा ब्रिटेन के सबसे सफल प्रधानमंत्री हैं. उन्होंने आगे कहा कि,’मुझे इस बात की खुशी है कि इतिहास में कड़वाहट होने के बावजूद आज भी दोनों देशों के लोगों और सरकारों के बीच काफी अच्छे संबंध हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में भारत और ब्रिटेन में रक्षा संबंध और प्रगाढ़ होंगे.’
उनके अनुसार,’वह थोड़े निराश हैं कि भारत आज उस मुकाम पर नहीं है जहां उसे होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम 2008 में इस बात को लेकर काफी हद तक सहमत थे कि भारत अमेरिका से आगे निकल जाएगा. उन्होंने कहा कि हम इस बात की चर्चा किया करते थे कि चीन या भारत में से कोई एक देश अमेरिका को पछाड़ देगा.’