पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात को देखते हुए अमित शाह को CAA को तुरंत लागू कर देना चाहिए

Amit Shah should implement CAA immediately: भारतीय गृह मंत्रालय ने संसद को सूचित करते हुए नागरिकता संशोधन अधिनियम या CAA के लिए नियम बनाने के लिए छह महीने का समय और मांगा है. आपको बताते चले की सीएए(CAA) वो क़ानून है जो हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई धर्म से संबंधित उत्पीड़ित उन सभी अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करता है जिन्होंने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान (Afganistan) से 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत मेंं प्रवेश किया. इस कानून को लागू करने के लिए सरकार द्वारा मांगा गया ये पांचवां विस्तार है, जिसके परिणामस्वरूप दिसंबर 2019 मेंं इस कानून के पारित होने और जनवरी 2020 से रेटिफ़ाइ होने के बावजूद अभी तक लागू नहीं किया गया है.

इस क़ानून को लागू करने की कितनी ज़्यादा ज़रूरत है, हम इस बात को आपको हम भारत के सीमावर्ती देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़गानिस्तान मेंं रहने वाले अल्पसंख्यको की दयनीय स्थिति को देख कर समझ सकते है.

पाकिस्तान –

अगस्त 2020– पाकिस्तान के राज्य कराची मेंं एक पुराने हनुमान मंदिर और उससे जुड़े 20 हिंदू परिवारों के घरों को ध्वस्त किया गया.

अक्टूबर 2020– सिंध प्रान्त मेंं एक राम मंदिर मेंं तोड़फोड़ की गई थी.

दिसंबर 2020– पाकिस्तान (Pakistan) के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत मेंं, एक सदी पुराने हिंदू मंदिर को कट्टरपंथी भीड़ ने फिर से नष्ट कर दिया.

मार्च 2021– रावलपिंडी मेंं एक 100 साल पुराने मंदिर, जिसका जीर्णोद्धार किया जा रहा था उसपर हमला किया गया था, और मंदिर की संपत्ति मेंं तोड़फोड़ की गई थी. इस अपराध में शामिल लोगों की सूची लंबी है.

गौरतलब है कि 2014 मेंं, एक संगठन, ऑल पाकिस्तान हिंदू राइट्स मूवमेंंट ने एक सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रकाशित की. सर्वेक्षण रिपोर्ट मेंं पाया गया कि 1990 के बाद से पाकिस्तान मेंं मौजूद 95% मंदिर या तो नष्ट हो गए या क्षतिग्रस्त हो गए. 428 पूजा स्थलों मेंं से केवल 20 ही चालू रहे जबकि 408 मंदिरों को या तो व्यावसायिक संपत्तियों मेंं या आवासीय प्रतिष्ठानों मेंं बदल दिया गया. 20 मंदिरों मेंं से 11 सिंध मेंं, 4 पंजाब मेंं, 3 बलूचिस्तान मेंं और 2 खैबर पख्तूनख्वा मेंं थे.

बांग्लादेश

2001 मेंं, खालिदा जिया के नेतृत्व मेंं बीएनपी की चुनावी जीत के बाद, उनके समर्थकों ने हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का एक व्यवस्थित अभियान चलाया, जो लगभग 150 दिनों तक चला. इस हिंसा की जांच कर रहे एक न्यायिक आयोग ने बड़े अपराध की लगभग 18,000 घटनाओं का दस्तावेजीकरण किया जिसमें लगभग 1,000 हिंदू महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया और 200 सामूहिक बलात्कार की शिकार हुईं. लगभग 500,000 हिंदू भारत भाग गए.

हिंदुओं को 2 मिलियन एकड़ से अधिक भूमि से बेदखल कर दिया गया है. पिछले कुछ हफ्तों मेंं लगभग 20 जिलों मेंं हुए हमलों मेंं 50 मंदिर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और 1,500 से अधिक घर नष्ट हो गए हैं.

प्रोफेसर अबुल बरकत ने अपनी हाल ही मेंं प्रकाशित पुस्तक ‘द पॉलिटिकल इकोनॉमी ऑफ रिफॉर्मिंग एग्रीकल्चर: लैंड वाटर बॉडीज इन बांग्लादेश’ मेंं लिखा है कि “30 वर्षों के भीतर बांग्लादेश के भीतर कोई हिंदू नहीं बचेगा। पिछले 49 वर्षों मेंं पलायन की दर उस दिशा की ओर इशारा करते हैं.” उनके शोध के अनुसार, 1964 से 2013 तक धार्मिक उत्पीड़न के कारण लगभग 11.3 मिलियन हिंदुओं को बांग्लादेश से पलायन करने के लिए मजबूर किया गया था.

अफगानिस्तान –

भारत का यह सीमावर्ती देश कभी 30000 साल से भी पहले सिंधु घाटी सभ्यता मेंं हिंदुओं और बाद मेंं सिखों की संपन्न और प्राचीन आबादी का घर रहा किंतु अफगानिस्तान अब 99.7 % तक मुस्लिम आबादी निवास करती  है. अफगानिस्तान में गैर-मुसलमानों के उत्पीड़न के कारण हिंदुओं और सिखों का समुदाय विलुप्त होने के कगार पर है. उन्हें लगातार परेशान किया जा रहा, सताया जा रहा, अपने धर्म का पालन करने के लिए जान से मारा जा रहा, और उनकी संपत्ति को हड़प लिया गया. हिंदुओं और सिखों का अपहरण और हत्याएं बड़े पैमाने पर हुई थीं.

28 फरवरी 2020 – इस दिन परवन जिले मेंं एक हिंदू महिला की लूटपाट कर हत्या कर दी गई.

मार्च 2019 – अफगानिस्तान की राजधानी काबुल मेंं एक सिख व्यक्ति का अपहरण कर लिया गया और बाद मेंं उसकी हत्या कर दी गई.

22 जून 2020 – यह बताया गया कि एक अफगान सिख नेता का अपहरण कर लिया गया था. सूत्रों ने मामले के बारे मेंं अधिक जानकारी का खुलासा नहीं किया.

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