राज्य के अंदर बार बार मुख्यमंत्री बदलने के बावजूद भी बीजेपी करेगी बेहतरीन प्रदर्शन, जानिये

BJP will perform well: 2022 पांच राज्यों के विधानसभा के चुनाव होने हैं, जो बीजेपी के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण साबित होने वाले हैं. उत्तर प्रदेश चुनाव पर सभी ने नजर गड़ाए हुए हैं. लेकिन देव भूमि उत्तराखंड भी बीजेपी (BJP) के लिए काफी अहम है क्योंकि पार्टी पिछले साढ़े चार सालों में यहां 2 सीएम बदल चुकी है. तीसरे सीएम पुष्कर सिंह धामी के सामने पार्टी को चुनाव जिताने की एक मुश्किल चुनौती है. ऐसे में बीजेपी की राह विपक्ष ने ही काफी आसान कर दी है. कांग्रेस का जनाधार पहले ही सिकुड़ चुका है, और दूसरी ओर बड़े मुफ्त की मलाई बांटने के दावे करने वाली आम आदमी पार्टी भी राज्य में चुनाव के लिए ताल ठोंक रही है, लेकिन आप और कांग्रेस का इतिहास ही है, जो कि बीजेपी की एक बंपर जीत सुनिश्चित कर सकता है.

अभी हाल ही में बीजेपी मैं विधायक ना होने के कारण तीरथ सिंह रावत का इस्तीफा लेकर पुष्कर सिंह धामी को राज्य का नया मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया है. इससे पहले त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व पर जब पार्टी के अंदर से ही सवाल खड़े हुए थे, तो उन्हें पार्टी ने सीएम पद से हटाया था. त्रिवेन्द्र के बाद सीएम बने तीरथ की सबसे बड़ी मुश्किल उनका विधायक न होना थी. दो सीएम बदलने के बाद अब पुष्कर सिंह धामी को बीजेपी ने सीएम का चेहरा बनाकर उनके लिए एक बड़ी चुनौती पैदा कर दी है.

वही दूसरी ओर कांग्रेस अब और आम आदमी पार्टी धामी की मुश्किलों को कम करने के लिए काम कर रही है क्योंकि यह दोनों ही डर जितनी अधिक गलतियां करेंगे बीजेपी को राज में उतनी आधा आसानी से और उतना ही अधिक फायदा मिलेगा. सबसे पहले बात करते हैं पहली बार राज्य में विधानसभा चुनाव लड़ने की सोच रही, आम आदमी पार्टी की. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को विकास पुरुष बता पार्टी कर्नल अजय कोठियाल के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की तैयार है. अरविंद केजरीवाल जब उत्तराखंड (Uttrakhand) के दौरे पर आए तो उन्होंने अपनी दिल्ली वाली मुफ्त की चीजें बांटने की राजनीति यहां भी शुरु कर दी.

केजरीवाल ने तो अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यहां तक ऐलान कर दिया है कि यदि उनकी पार्टी देहरादून में सत्ता में आती है तो जनता के सभी पुराने बिजली बिल माफ किए जाएंगे, और राज्य में 300 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी. लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या उनका ये दांव उत्तराखंड में काम करेगा? इसकी संभावनाएं कम ही दिखती हैं, क्योंकि राज्य के अपने अलग मुद्दे हैं, जिसमें डोमिसाइल से लेकर पर्यावरण में असंतुलन और प्राकृतिक आपदाओं के कारण अस्त-व्यस्त जीवन मुख्य हैं. ऐसे में मुफ्त की चीजें मिलना कोई बहुत बड़ा असर डालेगा, ये कहना काफी मुश्किल है.

इसके इतर आम आदमी पार्टी की छवि एक ऐसी पार्टी की है, जो राष्ट्रवाद का विरोध करके आए दिन अपनी छवि पिटवाती रहती है. भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान पर की गईं सर्जिकल और एयर स्ट्राईक के सबूत मांगने वाले अरविंद केजरीवाल के बयानों ने आप की छवि एक देश विरोधी पार्टी की बना दी है.

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की बात की जाए तो कांग्रेस (Congress) की वर्तमान स्थिति यह है कि पार्टी के राज्य इकाई के नेताओं की कोई लोकप्रियता नहीं है. किसी भी हालात सर के नेता का लोग नाम तक नहीं जानते हैं. पार्टी ने हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष का पद गणेश गौदियाल को दिया है, जो कि स्थानीय लोगों के लिए एक नया नाम हो सकते हैं. इसके अलावा पार्टी के कई पूर्व विधायक और कार्यकर्ता अपना राजनीतिक भविष्य खतरे में देख बीजेपी की ओर अपना रुख कर लिए हैं. ऐसे स्थिति में पार्टी का झंडा बुलंद करने वाला उत्तराखंड में कोई बड़ा चेहरा नहीं है.

 

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