Tibet will soon become an independent country: चीन की कम्युनिस्ट पार्टी तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए भारत की मेहनत के प्रति काफी आश्चर्यचकित है जिस प्रकार से केवल एक बर्थडे ग्रीटिंग से नरेंद्र मोदी (Modi) ने पूरे चीनी प्रशासन को तम तम आने पर विवश कर दिया वह इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है जल बिन मछली की भांति चीन पीएम मोदी के इस कदम से अभी तक घबराया हुआ है भारत का संदेश स्पष्ट था कि यदि चीन हरकतों से बाज नहीं आया तो भारत आगे भी ऐसे ही तिब्बत कार्ड चलता रहेगा.
गौरतलब है कि चीनी प्रशासन की यही आतुरता उनके लिए घातक भी साबित हो सकती है. टाइम्स ऑफ इंडिया के रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने पता लगाया कि चीनी प्रशासन ने अब ये अवश्यंभावी कर दिया कि तिब्बत का हर परिवार का एक पुरुष सदस्य चीनी सेना का हिस्सा बनेगा.
इसी प्रकार से एक और खेल खेलते हुए इंडिया टुडे ने एक उच्चाधिकारी के हवाले से बताया है कि कैसे LAC पर चीन विशेष ऑपरेशन्स के लिए चीन तिब्बती युवाओं को अपनी सेना में भर्ती कर रही है.
अब लगता है चीनियों ने ना तो स्पेशल फ्रंटियर फोर्स के बारे में सुना है और ना ही भारत के रॉयल इंडियन नेवी म्यूट इन्हीं के बारे में कुछ पढ़ा लिखा है. गौरतलब है कि जब 1946 में रॉयल इंडियन नेवी (Royal Indian Nevy) और रॉयल इंडियन एयर फोर्स ने विद्रोह किया था, तो उसके पीछे का कारण भारतीयों के प्रति अंग्रेजों का पूरा विश्वास था. ठीक इसी प्रकार से चीनियों को इस बात का गुमान है कि तिब्बती कभी चीनियों के विरुद्ध विद्रोह नहीं कर सकते.
अब तो ऐसा लगता है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी स्वयं थाली में सजाकर तिब्बत को उसकी स्वतंत्रता देगी. इन दिनों चीनी किसी भी तरीके से तिब्बत के लोगों को जबरदस्ती PLA में भर्ती करने में लगे हुए हैं. परंतु ये कई कारणों से फेल हो सकता है. एक तो चीनियों को इतिहास का कोई ज्ञान नहीं है, और दूसरा – अपनी इच्छा किसी पर जबरदस्ती थोपना किसी भी देश को नहीं फला है. तिब्बत के लोग आज भी अपने आप को चीन का हिस्सा नहीं मानते. उनके देश पर चीन ने 1950 के दशक में आक्रमण करके कब्जा जमाया था. उनके शांत और बौद्ध बाहुल्य देश पर चीनी कम्युनिस्ट दिन रात अत्याचार करते हैं.
इन सबके अलावा जब चीनी मूल के तिब्बती देखेंगे कि कैसे भारत में रह रहे स्वतंत्र तिब्बती अपने देश की स्वतंत्रता के लिए भारत द्वारा प्रोत्साहित स्पेशल फ़्रंटियर फोर्स के अंतर्गत जी जान से लड़ रहे हैं, तो उनमें भी अपने तिब्बत के लिए लड़ मरने की भावना उमड़ पड़ेगी. उनमें भी अपने देश के लिए कुछ कर-गुजरने की भावना जाग जाएगी, जिसे चीन चाहकर भी रोक नहीं पाएगा.