Taliban’s bet may backfire for Pakistan: अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने में तालिबान की मदद कर रहे पाकिस्तान के लिए याद आओ आने वाले समय में उल्टा पड़ सकता है पाकिस्तान (Pakistan) की जातियों से परेशान पश्तून आजादी की फिराक में है और यह उनके लिए एक बहुत ही अच्छा मौका हो सकता है अंतरराष्ट्रीय अधिकार और सुरक्षा समूह नाम के एक थिंक टैंक ने चेतावनी दी है थिंक टैंक ने कहा है कि पाकिस्तान में पश्तून की आबादी करीब 3.5 करोड़ है, जो डुरांड लाइन जो उनके ‘राष्ट्र’ का विभाजन करता है, हमेशा दुखती रग रहा है. ऐसी स्थिति में अफगानिस्तान (Afganistan) के पश्तूनी तालिबानियों का साथ पाकर ये पाकिस्तान के गले की हड्डी बन सकते हैं.
गौरतलब है कि आईएफएफआरएएस के मुताबिक अब पश्तून पहले की तरह पाकिस्तान के प्रति वफादारी नहीं रख रहे हैं. खैबर पख्तूनवा और अन्य आदिवासी क्षेत्रों में रह रहे पश्तूनों के अंदर पाकिस्तान को लेकर काफी गुस्सा है. पिछले करीब तीन साल से पश्तूनों का पाकिस्तान खासतौर पर यहां की सेना के साथ एक तरह से शांतिपूर्ण युद्ध चल रहा है. इन पश्तूनों का आरोप है कि पाकिस्तानी आर्मी डूरंड लाइन पर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान उनके घरों को बर्बाद कर देती है. लाखों पश्तूनों को अपना घर छोड़ना पड़ा और आज वे दूर-दराज के शहरों में शेल्टर होम में या फिर किसी सरकार द्वारा बनाई टेंट कॉलोनियों में रहने को विवश हो गए हैं.
मीडिया रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है कि जब-जब पश्तून इन सबके खिलाफ आवाज उठाते हैं, उनकी आवाज को बर्बरतापूर्ण ढंग से दबा दिया जाता है. पाकिस्तानी सेना और जासूसी सेवाओं ने अनगिनत युवा पश्तूनों को बेघर कर दिया. उन्हें टॉर्चर किया और कइयों को तो मौत के घाट उतार दिया. आईएफएफआरएएस के मुताबिक पाकिस्तान से न्याय न मिलने पर इन लोगों ने खुद को पश्तून तहाफुज मूवमेंट के तहत खुद को व्यवस्थित किया है. पिछले दो साल में इस संगठन ने पूरे पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए हैं. इस दौरान पाकिस्तानी सेना के खिलाफ नारेबाजी की गई है जो पाकिस्तान में कभी नहीं सुनी जाती है.
इस सबके अलावा पाकिस्तान और अफगानिस्तान में रह रहे 1.5 करोड़ पश्तूनों के बीच एक और भी कनेक्शन है. असल में यह पश्तून और अफगानिस्तान सरकारें अंग्रेजों द्वारा पाकिस्तान के साथ बनाई गई सीमारेखा को स्वीकार नहीं करते हैं. अफगानिस्तान के कुछ नेता कई बार ग्रेटर अफगानिस्तान या पश्तूनिस्तान की मांग करते रहते हैं.
गौरतलब है कि थिंक टैंक के मुताबिक अगर पश्तूनिस्तान अपना असल रूप ले लेता है तो यह पाकिस्तान के लिए सबसे चिंताजनक बात हो जाएगी. एक और जो बात मायने रखती है वह ये है कि डूरंड लाइन पर साल 2018 में पाकिस्तान की तरफ से फेंसिंग हो रही थी. तब अफगानिस्तान ने इस बात का पुरजोर विरोध किया था और दोनों देशों की सेना के बीच कई बार हथियार निकल गए थे. वहीं इसी साल जुलाई में कांधार के बाहरी इलाकों में अफगानिस्तानी सेना ने पाकिस्तानी जवानों को खदेड़ा था.