अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के साथ ही एक बार फिर से देश में तालिबान (Taliban) और अफगान सेना के बीच खूनी जंग शुरू हो गई है. तालिबान और अफगान सैनिकों के बीच वार-पलटवार शुरू हो गया है. इस गृहयुद्ध को रोकने के लिए ईरान (Iran) के बाद अब रूस ने भी अपने प्रयास तेज कर दिए हैं. अफगान सरकार और तालिबान का एक प्रतिनिधिमंडल मास्को पहुंचा है जहां पर दोनों पक्षों के बीच बातचीत होगी.
गौरतलब है कि इसके 1 दिन पहले ही भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jayshankar) भी रूस के दौरे पर गए थे. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तालिबान नेता रूस पहुंचकर पुतिन प्रशासन को यह आश्वासन देना चाहते हैं कि अगर वे सत्ता में आए तो रूस और मध्य एशिया में उसके सहयोगियों को कोई खतरा नहीं होगा. रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि रूस के अफगानिस्तान (Afganistan) में राजदूत जमीर काबुलोव ने तालिबान के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की है.
अफगानिस्तान के हालात उसके और क्षेत्र के लिए अच्छे रहें; भारत
उसी दौरान गुरुवार को भारत ने अपनी कहा की अफगानिस्तान के नजदीकी देशों के इस बात में हित पुरजोर सुरक्षित हैं कि अफगानिस्तान में घटनाक्रम उसके और क्षेत्र के देशों के लिए अच्छे रहें। तालिबान लड़ाकों ने पिछले कुछ दिनों में अफगानिस्तान के अनेक जिलों पर कब्जा कर लिया है और समझा जाता है कि 11 सितंबर को अफगानिस्तान से अमेरिका और पश्चिमी देशों के सैनिकों की वापसी से पहले तालिबान का एक तिहाई देश पर नियंत्रण है. वही दूसरी ओर रूस की यात्रा पर पहुंचे भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा, ‘अगर कोई आतंकवाद के मुद्दे पर देखे तो भारत और रूस दोनों कट्टरपंथी सोच, हिंसा, चरमपंथ और हिंसक उग्रवाद के खिलाफ हैं.’
आगे एस जयशंकर ने कहा कि ,’भारत और रूस ने एक अविभाजित अफगानिस्तान, संप्रभु अफगानिस्तान का समर्थन किया है जहां अल्पसंख्यकों को उचित प्रतिनिधित्व मिले। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान पर भारत का रुख बदला नहीं है. रूस की यात्रा के रास्ते में बुधवार को अपने तेहरान ठहराव को याद करते हुए जयशंकर ने कहा कि उन्होंने ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ से अफगानिस्तान के विषय पर विस्तार से बात की.’