मेनका गांधी राजीव गांधी के मौत के बाद सोनिया गांधी की आँखों में खटकने लगी थी, लगाए थे ऐसे आरोप

इंदिरा गांधी के बेटे सोनिया गांधी संजय गांधी की 31 वर्ष की उम्र में 23 जून 1980 को प्लेन क्रैश मैं मौत हो गई थी. उस समय उनकी पत्नी मेनका गांधी मात्र 23 साल की थी. संजय गांधी की मौत के बाद मेनका गांधी के ससुराल में किस तरह का उस समय व्यवहार होता था, इस पर उन्होंने एक इंटरव्यू में सनसनीखेज खुलासा किया था. राजीव गांधी और सोनिया गांधी पर मेनका ने काफी तरह के आरोप लगाए थे. मेनका का कहना था कि वह सोनिया और राजीव की आंख में काफी बुरी तरह से खटक ने लगी थी और उनकी सास इंदिरा गांधी मजबूर होकर सब ठीक करती जा रही थी. मेनका ने अपने दिए इंटरव्यू में सोनिया गांधी के साथ अपने रिश्ते पर खुलकर बात की. आइए जानते हैं उन पहलुओं को दिन पर उन्होंने चर्चा की…

इंटरव्यू के दौरान मेनका गांधी ने कहा कि संजय की मौत के बाद उनके प्रति राजीव और सोनिया का व्यवहार बहुत बदल गया था. उनकी इंटरव्यू सिमी ग्रेवाल ले रही थी. सिमी ग्रेवाल के शो में मेनका ने बताया था कि इंदिरा गांधी मजबूरी में राजीव की बात मानती जा रही थी.

इस दौरान उन्होंने बताया कि संजय गांधी की मौत के बाद इंदिरा ने उन्हें अपनी सेक्रेटरी बनाने की बात की थी. लेकिन कुछ दिनों बाद ही इंदिरा के सचिव धीरेंद्र ब्रह्मचारी ने मेनका को बताया कि वह अब पीएम की सेक्रेटरी नहीं बन सकती हैं.

खुशवंत सिंह ने अपनी किताब ‘सच, प्यार और थोड़ी सी शरारत’ में यह खुलासा किया है कि सोनिया गांधी जीत पड़ी थी कि अगर मेनका गांधी को यह पद दे दिया तो वह अपने परिवार समेत इटली चले जाएंगे.

आगे मेनका गांधी ने बताया कि जब मार्गरेट थैचर के सम्मान में पीएम आवास में पार्टी दी गई तो उसमें राजीव और सोनिया मुख्य अतिथि के साथ प्रमुख मेज पर बैठे थे और उन्हें धवन और उसे जगत के साथ स्टाफ के लिए लगाई गई मेज पर बैठाया गया था. इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि उनके पीएम आवास में रहने से राजीव गांधी को आपत्ति थी. इस शर्त पर वह राजनीति में आने को तैयार हुए थे कि उन्हें सर्वप्रथम पीएम आवास से ही नहीं गांधी परिवार से भी बेदखल कर दिया जाए.

मेनका गांधी ने अपनी जेठानी सोनिया के लिए कहा था कि वह जहां तक सोनिया को जानती हैं. यह सब कुछ संपत्ति और दौलत के लिए किया गया था. आगे उन्होंने बताया कि ससुराल में उनका रहना बेहद कठिन हो गया था. इसके पीछे कारण राजीव और सोनिया ही थे. उनकी सास बस उनके आदेशों का पालन करती जा रही थी. क्योंकि राजनीति में उन्हें संजय के बाद राजी भी दावेदार के रूप में नजर आ रहे थे.

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