करो ना ने पूरी दुनिया बीते कुछ सालों से तबाही मचा मचा रखी है. इसने सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को तबाह कर के रख दिया है. इस दौरान कई करोड़ लोग बेरोजगार हो चुके हैं. इस महामारी से बचने के लिए सरकार को अंततः लॉकडाउन का सहारा लेना पड़ा, जिसने व्यापारी वर्ग से लेकर मजदूर वर्ग तक हर व्यक्ति की कमर तोड़ दी.
सरकार द्वारा सुरक्षा की दृष्टि से उठाया गया यह कदम गरीब परिवारों को भुखमरी की तरफ धकेलने के लिए मजबूर कर दिया. क्योंकि लॉकडाउन में काम ना मिलने की वजह से कई लोग बेरोजगार हो गए और उनकी रोजी-रोटी कि साधन भी चली गई. ऐसे में एक बेटी ने मुश्किल समय में परिवार की जिम्मेदारी उठाने का फैसला लिया और खुद फूड डिलीवरी का काम शुरू कर दिया जिसकी वजह से आज पूरे राज्य में उसकी चर्चा हो रही है.
पिता की नौकरी गई तो घर की उठा ली जिम्मेदारी
ओडिशा के रहने वाले विष्णु प्रिया की उम्र महज 18 साल है. लेकिन उन्होंने अपने कंधों पर पूरे परिवार के भरण-पोषण का करने की जिम्मेदारी उठा रखी है. विष्णु प्रिया पढ़ाई करके डॉक्टर बनना चाहती है लेकिन कोरोना काल में उनके पिताजी की नौकरी छूट गई. परिवार को इस संकट की घड़ी में देखकर विष्णु प्रिया ने खुद ही नौकरी ढूंढना शुरू कर दिया. जिसके बाद उन्होंने जोमैटो से इंटरव्यू कॉल आया. विष्णु प्रिया ने फूड डिलीवरी एप जोमैटो में इंटरव्यू दिया और उन्हें नौकरी मिल गई, लेकिन यह नौकरी घर-घर खाना डिलीवरी करने की थी.
अपने आत्मविश्वास से उठाया इतना बड़ा कदम
विष्णु प्रिया को तो जोमैटो में डिलीवरी गर्ल की नौकरी तो मिल गई लेकिन उन्हें बाइक चलाना नहीं आता था. इसके साथ-साथ उन्हें खास जानकारी भी नहीं थी. लेकिन अपने बुलंद हौसले की वजह से उन्होंने जोमैटो के साथ काम करने का मन बना लिया. इसके लिए विष्णु प्रिया ने अपने पिता से मदद लिया और बाइक चलाना सिखा जिसके बाद विष्णुप्रिया घर घर जाकर खाना डिलीवरी करने लगी.
सूत्रों के हवाले से यह मालूम चला है कि विष्णु प्रिया का कोई भी भाई नहीं है. जिसकी वजह से वही अपने माता-पिता की जिम इससे पहले विष्णुप्रिया घर-घर जाकर बच्चों को करती थी. लेकिन लॉकडाउन की वजह से बच्चों के घरवालों ने ट्यूशन छुड़वा दी जिसकी वजह से विष्णु प्रिया के पास आमदनी का कोई भी साधन नहीं रहा.
विष्णु प्रिया की मां से पूछने पर उन्होंने कहा कि हमारा कोई बेटा नहीं है. ऐसे में विष्णु प्रिया ही हमारा बेटा है उसने पिता की नौकरी जाने के बाद परिवार का खर्च उठाया है और हमारा सहारा भी बन रही है. विष्णु प्रिया नौकरी के साथ-साथ अपनी पढ़ाई का भी पूरा ध्यान रखती हैं ताकि आगे चलकर वह एक सफल डॉक्टर बन सके.