पिछले साल गलवान घाटी में हुए चीन-भारत के गतिरोध को आज 1 साल हो चुके हैं. इन 1 सालों में बहुत कुछ बदल चुका है. चीन द्वारा भारत को देखने का नजरिया आज पूरी तरह से बदल चुका है. भारत में चीन के विरुद्ध इस तरह का नजरिया पहले कभी नहीं देखा गया था. लोगों के साथ मोदी सरकार ने भी इस घटना को गंभीरता से लिया और चाइना पर चढ़ाई करने के साथ-साथ उनके कई सारे ऐप को भारत में बैंक कर दिया.
भारत ने इस दौरान कई ऐसे आर्थिक फैसले लिए जिससे चीन को बहुत ज्यादा नुकसान का सामना करना पड़ा. चीन के एप्स बंद करना, चाइनीस कंपनी को सरकारी खाते से भारत निवेश पर रोक लगाने की कार्रवाई के बारे में तो आप जानते ही हैं.
घाटी के गतिरोध के बाद भारत सरकार ने दो कैंपेन को बहुत जोर शोर से चलाया. इनमें आत्मनिर्भर भारत और Vocal For Local प्रमुख है. ताकि सस्ती चीन की चीजों से हमारी आत्मनिर्भरता पूरी तरीके से खत्म हो जाए. और अपने वह लोकल प्रोडक्ट जो कि भारत में बनते हैं उसे बढ़ावा मिले.
इस घटना के बाद भारत की जनता में चीन के प्रति काफी ज्यादा रोष था और लोगों ने भी भारत सरकार के इन दो कैंपेन को काफी जोर-शोर से बढ़ावा दिया. और साथ में बॉयकॉट चाइनीस प्रोडक्ट कैंपेन भी चलाया. कई लोगों ने चीजों को खरीदने से पहले मेड इन चाइना जरूर देख लेते थे. अगर मेड इन चाइना लिखा होता तो वह उसे बिल्कुल भी नहीं खरीदते थे.
18000 ग्राहकों पर किए गए सर्वे से यह मालूम चली है कि पिछले 1 साल में लगभग 43 परसेंट लोग चाइना का कोई भी बना हुआ सामान नहीं खरीदा है. तो वही लगभग 34 परसेंट लोग पिछले 12 महीने में केवल एक या दो मेड इन चाइना प्रोडक्ट को खरीदा है. तो वही लगभग 8% लोगों ने पिछले 12 महीनों में 3 से 5 चीन के प्रोडक्ट खरीदे हैं. यह सर्वे इस बात को दर्शाने के लिए पूरी तरह से कारगर है कि लोग किस तरह से पिछले 1 साल में बदले हैं और उनमें राष्ट्रवाद की भावना पैदा हुई है.