राजस्थान के सियासी रंगमंच पर सचिन पायलट खेमे का दबाव अब रंग लाता दिख रहा है. सीएम अशोक गहलोत ने अपने मंत्रियों के बीते 2 साल का रिपोर्ट कार्ड मांगा है. कार्ड में अगर किसी नेता के काम को संतोषजनक नहीं पाया जाता है तो ऐसी स्थिति में उस नेता की छुट्टी हो जाएगी.
गौरतलब है कि कैबिनेट के विस्तार और फेरबदल के बीच सीएम अशोक गहलोत का यह कदम काफी अहम माना जा रहा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंत्रिमंडल सचिवालय को इस संबंध में निर्देश दिए हैं जिस पर मंत्रिमंडल सचिवालय मंत्रियों के कामकाज के रिपोर्ट तैयार करने में जुट गई.
राजनीतिक विश्लेषकों ने यह अनुमान लगाया है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के रिपोर्ट कार्ड मांगने का मुख्य कारण मंत्रिमंडल का विस्तार और गैर जिम्मेदार नेताओं को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाना हो सकता है. गौरतलब है कि सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक लगातार सरकार वह कांग्रेस आलाकमान में से सत्ता में अपनी भागीदारी दिए जाने की मांग की किए जा रहे हैं. ऐसे में किसी भी समय गहलोत की सरकार मैं विस्तार की समाचार सुनने को मिल सकती हैं.
अब आने वाला समय ही बताएगा कि गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल में किस नेता की छुट्टी हुई है और किसके दिन घूमे हैं. इससे पहले भी गलत ने कोरोना काल में सभी मंत्रियों के विभागों की समीक्षा बैठक लेकर कामकाज की समीक्षा कर चुके हैं
फिलहाल 9 पद खाली है गहलोत की कैबिनेट में
अशोक गहलोत के मंत्रिमंडल में अधिकतम 30 मंत्री ही बनाए जा सकते हैं. अभी तक इन पदों के मुकाबले 21 विधायकों को मंत्री पद दे रखा है ऐसे में कई ऐसे विधायक हैं जिनके पास एक से अधिक विभाग है. फिलहाल गहलोत मंत्रिमंडल में 9 पद खाली हैं इसमें सियासी संकट के दौरान मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए गए सचिन पायलट, रमेश मीना, विजेंद्र सिंह भी शामिल हैं. इसके साथ साथ एक अन्य सदस्य मास्टर भंवर लाल मेघवाल का निधन होने के बाद एक और पद रिक्त हो चुका है. अब खबर है कि अगर गहलोत मंत्रिमंडल में विस्तार होता है तो सचिन पायलट और उसके विधायकों को पद मिलना निश्चित है.