16 जून 2020 को लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सैनिकों सहयोग व झड़प में शहीद हुए हवलदार के पलानी की पत्नी को आज भी उनके उस वादे का इंतजार है जब वह घर वापस लौटने का वादा करके गए थे. वह कहती हैं कि,’ मुझे आज भी उनकी बात याद आती है, लेकिन मेरे उस दुख से ज्यादा मुझे उनकी शहादत पर गर्व है. के पलानी की पत्नी ने इस घटना के 1 साल पूरे होने पर यह बात कही.
उन्होंने आगे कहा कि मेरे पति ही नहीं बल्कि जंग के उस कठिन मैदान में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले सभी सैनिकों पर उन्हें गर्व है. उन्होंने मंगलवार को कहा कि 1 साल होने के बाद भी हम इस दुख से उबर नहीं पाए हैं. उनका जाना मेरे और मेरे दो बच्चों के लिए निजी नुकसान है. लेकिन भारत के लिए दया दिया गया उनका बलिदान हमें हमेशा गर्व की अनुभूति कराता है.
अपने पति के साथ आखरी बार हुई बातों को याद करके वह काफी भावुक हो गई. अंतिम बार बात करते हुए उन्होंने कहा था कि मेरे रिटायरमेंट के पेपर आगे बढ़ गए हैं और मैं कुछ ही हफ्तों में घर आने वाला हूं. उन्होंने नए घर में गृह प्रवेश को लेकर भी बात कही थी जो हमने पिछले साल 3 जून को किया था पर अंततः वह नए घर में नहीं आ पाए.
नए घर में रहने का उनका सपना पूरा नहीं हो पाया
वनाथी ने कहा कि 6 जून को हम शादी की सालगिरह पर साथ रहेंगे जो कि नहीं हो पाया परंतु हमें 16 जून को देश के लिए उनकी शहादत की खबर मिली. उन्होंने कहा कि मैं घर में रहने का सपना उनका पूरा नहीं हो सका हमने साथ मिलकर यह सपना देखा था कि नए घर में साथ में मिलकर गुजर-बसर करेंगे. हम हमेशा समझते रहे कि उनकी जिंदगी आसान होगी परंतु ऐसा बिल्कुल भी नहीं था. एक तरफ जहां सीमा पर दुश्मन देश का खतरा होता है तो वहीं दूसरी तरफ गलवान जैसी कठिन इलाकों में तैनाती के चलते तमाम तरह की स्वास्थ्य में समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है.