तो इस कारण एक्टिव हुए अमित शाह… यूपी में नए सियासी समीकरणों को साधने में ….

देश में कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ने के साथ ही चुनावी राजनीति के जोर पकड़ने लगी है. जहां एक तरफ बंगाल के चुनावी परिणाम ने भाजपा को दोबारा मंथन के लिए समय दिया तो वही विपक्ष को एक नई उम्मीद की किरण दी. अगले साल चुनाव का महासंग्राम उत्तर प्रदेश में देखने को मिलने वाला है लेकिन इसके साथ-साथ पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्य में भी सियासत गर्मा रही है.

वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में भाजपा दोहरे मोर्चे पर अपना काम कर रही है. इसमें एक तरफ भाजपा को खुद मजबूत करनी है तो दूसरी तरफ उसे विपक्ष को भी कमजोर करना है. इसके साथ साथ गठबंधन को भी उसे लेकर चलना है. वर्तमान में भाजपा के लिए सबसे बड़ी चिंता उत्तर प्रदेश के लिए है जिसके वजह से अमित शाह को चुनावी मैदान में कूदना पड़ा. अमित शाह ने सहयोगी दलों पर निशाना साध रहे हैं और जल्दी राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार कर आगे की रणनीति के बारे में सोच रहे हैं.

कोरोना के कारण बड़ी दिक्कत

मौजूदा हालात को देखते हुए लग रहा है कि कोरोना की दूसरी लहर ने सबसे ज्यादा भाजपा को नुकसान पहुंचाया है. इससे देशभर के लोगों की दिक्कतें बढ़ी हैं और उसका सारा का सारा ठीकरा भाजपा सरकार पर फोड़ने की तैयारी की जा रही है. ऐसी स्थिति को काबू में लाने के लिए भाजपा को समय लगेगा. परंतु उससे पहले जो चुनाव होंगे उसमें भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसलिए भाजपा ने सहयोगी पार्टियों पर भी ध्यान देना शुरू कर दिया है और इसके साथ-साथ उसके लिए बड़ी समस्या यह भी है कि विपक्षी पार्टियों को कैसे कंट्रोल करें.

जितिन और उद्धव ठाकरे से मिला बल

उत्तर प्रदेश में जितिन प्रसाद को साथ में लाना और महाराष्ट्र मुख्यमंत्री वह शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात में कई तरह के संकेत दिए हैं. जल्दी ही राजस्थान में भी सचिन पायलट को लेकर एक नया मोर्चा शुरू हो सकता है. वहीं पंजाब में अकाली दल और भाजपा के रास्ते तो अलग हो चुके हैं परंतु इन दोनों के बीच इतनी भी दूरियां नहीं आई है कि मामला कंट्रोल से बाहर हो जाए.

कर्नाटक में जस की तस स्थिति बनी रहेगी

कर्नाटक में भाजपा किसी भी तरह की जोखिम लेने के मूड में नहीं दिख रही है. फिर भी वहां के मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई ना कोई विवाद खड़ा हो ही जाता है. फिलहाल पार्टी ने राज्य के प्रभारी महासचिव अरुण सिंह को बेंगलुरु भेजने का फैसला किया है. ताकि विरोधी गतिविधियों पर लगाएं.

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