पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने के बाद अब कांग्रेस में अंदर ही अंदर सुगबुगाहट तेज हो गई है। जितिन के बाद अब उन नेताओं की चर्चा है जो पार्टी आलाकमान से असंतुष्टि जाहिर कर चुके हैं। इस बीच वरिष्ठ नेता और कांग्रेस के जी-23 के सदस्य कपिल सिब्बल ने दावा किया कि वह सच्चे कांग्रेसी हैं और बीजेपी में कभी नहीं जाएंगे। उन्होंने जितिन के बीजेपी में जाने पर हैरानी जताने के साथ ही पार्टी नेतृत्व को इशारों में मेसेज दिया। उधर पंजाब कांग्रेस में मचे घमासान को लेकर तीन सदस्यीय पैनल ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। पैनल ने पिछले दिनों दिल्ली में पंजाब के मंत्रियों और विधायकों के साथ बैठक की थी।
3 member AICC panel, constituted to end factionalism in Punjab Congress, has submitted the report to party's interim president Sonia Gandhi. pic.twitter.com/cvbdzVjeXl
— ANI (@ANI) June 10, 2021
‘हम सच्चे कांग्रेसी, बीजेपी में शामिल नहीं हो सकते’
कांग्रेस छोड़ने के सवाल पर कपिल सिब्बल ने कहा, ‘हम सच्चे कांग्रेसी हैं, मैं अपने जीवन में कभी भी बीजेपी में शामिल होने के बारे में नहीं सोचूंगा। उन्होंने कहा कि ‘ऐसे फैसले को मेरे मृत शरीर से होकर गुजरना होगा। हो सकता है कि अगर कांग्रेस नेतृत्व मुझे जाने के लिए कहता है, तो मैं उस आधार पर पार्टी छोड़ने के बारे में सोच सकता हूं, लेकिन बीजेपी में शामिल नहीं होऊंगा।’
‘जिस पार्टी को गाली देते थे, वही जॉइन कर ली’
जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने कपिल सिब्बल ने कहा, ‘जितिन ने जो किया मैं उसके खिलाफ नहीं हूं, जरूर कोई वजह रही होगी जो जाहिर नहीं हुई है लेकिन बीजेपी से जुड़ने का फैसला मैं समझ नहीं सकता। यह बताता है कि हमने ‘आया राम गया राम’ से ‘प्रसाद’ पॉलिटिक्स का रुख कर लिया है। जहां प्रसाद मिले वह पार्टी जॉइन कर लो।’
कांग्रेस लीडरशिप को कपिल सिब्बल की नसीहत
पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने आगे कहा, ‘जिस पार्टी के मंच से आप रोज बीजेपी को गाली देते थे, सांप्रदायिक और देशविरोधी बताते थे। आज आप वही पार्टी जॉइन कर रहे हैं। राजनीति में जब तक विचारधारा के आधार पर आगे नहीं चलेंगे तो ऐसा लगेगा कि ये प्रसाद पॉलिटिक्स है।’ कांग्रेस को मेसेज देते हुए सिब्बल ने कहा, ‘मैं मानता हूं कि लीडरशिप को पता है कि समस्या क्या है और मुझे उम्मीद है कि लीडरशिप सुनेगा क्योंकि बिना दूसरे की बात सुने आप राजनीति में नहीं रह सकते। अगर आप सुनेंगे नहीं तो आपके बुरे दिन शुरू हो जाएंगे।’