पिछले 4 सालों में योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह से अपनी पैठ उत्तर प्रदेश में जमाई है, भावी भविष्य में उसे हिलाना किसी भी पार्टी के लिए लोहे के चने चबाने के समान है. उत्तर प्रदेश में 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो चुकी है. पिछले लगातार कई दिनों से संघ के नेताओं और बीजेपी के नेताओं के बीच कई बैठकें हो चुकी हैं. रविवार को यूपी के प्रभारी राधा मोहन (Radha Mohan) राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिल रहे थे और साथ साथ बाकी सारे नेताओं अभी हाल चाल जान रहे थे.
दूसरी तरफ बीजेपी के संगठन महामंत्री बीएल संतोष (BL Santosh) भी अभी 3 दिन के यूपी दौरे पर थे. प्रकरण में मंत्री और विधायकों से कई सारी मुद्दों पर बात की. कई नेताओं की नाराजगी के बारे में भी पूछा. लेकिन जाते-जाते उन्होंने कोविड-19 नियंत्रण पर योगी जी पीठ भी थपथपाते हुए गए.
तीन मुख्य कारण जो योगी को उत्तर प्रदेश से हटा नहीं सकता…
योगी की लोकप्रिय छवि, एक्शन खतरनाक
पिछले 4 सालों में योगी की लोकप्रियता आसमान छू रही है. इस दौरान उन्होंने कई सारे कड़े कदम उठाए. जिसमें दंगाइयों को लेकर, लव जिहाद को लेकर, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने को लेकर कानून बनाया. इन कानूनों के बाद इनका बोलबाला पूरे यूपी में हो गया. दंगाइयों ने इन बड़े एक्शन पर दोबारा से प्रहार करना खुद के लिए उचित भी नहीं समझा. इन कानूनों को बनाने के बाद योगी आदित्यनाथ एक रोल मॉडल के रूप में उभरे और कई सारे राज्यों ने भी इन कानूनों को अपनाया.
गौरतलब है कि योगी पहले से भाजपाई नेता होंगे जिन्होंने उत्तर प्रदेश में अपने कार्यकाल को पूरा किया. उनसे पहले कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में पद ग्रहण किए थे और उन्होंने अपने कार्यकाल के पूरा होने से पहले ही पद त्याग दिया.
हिंदुत्व के बड़े ब्रांड हैं योगी आदित्यनाथ
सीएम रहते हुए उन्होंने कई सारे बड़े कानून है, जिनमें लव जिहाद और गौ हत्या को लेकर कानून मुख्य हैं. इन कानूनों से वह हिंदुत्व को सबसे बड़ा ब्रांड बनाकर पूरे देश में उभरे. चुनाव के दौरान उनके द्वारा दिए गए हिंदुत्व को लेकर बयानबाजी ने उनकी छवि को पूरे देश में एक अलग स्थिति मिलाकर खड़ी कर दी.
आरएसएस (RSS) का हाथ योगी के साथ
तमाम विरोध के बावजूद भी योगी आदित्यनाथ संघ की पहली पसंद बने हुए हैं. जबकि ध्यान देने वाली बात यह है कि वह खुद आरएसएस की पृष्ठभूमि से नहीं आते. कहा जाता है कि 2017 में भी संघ की पसंद की वजह से उन्हें उत्तर प्रदेश की गद्दी मिली.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कई लोग योगी आदित्यनाथ को पीएम मोदी के काट के रूप में भी देखते हैं.