अलापन बंधोपाध्याय प्रधानमंत्री के साथ एक मीटिंग मैं नहीं शामिल हुए. दरअसल यह विवाद अभी थमा नहीं है, चल रहा है. अलापन बंधोपाध्याय ने केंद्र द्वारा जारी नोटिस के जवाब में कहा कि,’ उन्होंने वही किया जो उन्हें ममता बनर्जी ने कहा था. मैं मजबूर था जो भी सीएम कही थी वह करने के लिए.’
पर क्या वास्तव में ऐसा है बिल्कुल नहीं ? डिजास्टर मैनेजमेंट (Disaster Management Act) एक्ट के तहत प्रधानमंत्री के साथ उनकी मीटिंग थी, जिसे उन्हें अटेंड करना चाहिए था, परंतु उन्होंने मैडम सीएम का बहाना बनाकर उसे अटेंड नहीं किया.
अब केंद्र सरकार सोच रही है कि अलापन बंधोपाध्याय पर कौन से कार्रवाई की जाए. इस कार्रवाई के तहत उन्हें 1 वर्ष की सजा भी हो सकती है. भविष्य में कोई भी प्रधानमंत्री की अवहेलना ना करें और कोई दूसरा अलापन बंधोपाध्याय ना बन पाए इसके लिए केंद्र सरकार ने सर्कुलर जारी किया है जिसके अंतर्गत कहा गया है कि अगर कोई प्रशासनिक सेवा से रिटायर होकर किसी और सेवाओं में नियुक्ति होती है तो उससे पहले संबंधित विभाग की सर्तकता से अनुमति लेनी होगी.
अगर कोई संबंधित अधिकारी नियुक्ति पद के लिए चयनित है और उसने केंद्र सर्तकता आयोग से हरी झंडी (Clearence) नहीं ले पाए तो वो सीधे रिटायर होगा ना कि किसी पद या पोस्ट पर नियुक्त होगा. अगर यह कानून पहले होता तो अलापन बंधोपाध्याय नियुक्त नहीं हो पाते और फिर कोई प्रधानमंत्री की बातों की अवहेलना नहीं कर पाता.
अर्थात किसी की भी ऐसी नियुक्ति से पहले केंद्र सर्तकता आयोग से हरी झंडी लेनी होगी. परंतु दूसरी ओर वर्तमान समय में ऐसे प्रावधान हैं जिस पर अगर अलापन बंधु पर कोई भी कार्यवाही की जाए तो उस पर कोर्ट में चैलेंज हो सकता है.
गौरतलब है कि अलापन बंधोपाध्याय ममता बनर्जी और नरेंद्र मोदी के बीच होने वाले टकराव की एक अहम कड़ी बन चुके हैं. क्या यह टकराव भविष्य में दूर तक जाएगी या फिर इसका कोई परिणाम निकलेगा यह देखने वाली बात होगी.