भारत में रहने वाले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता के आवेदन को स्वीकृति देने से केंद्र सरकार के कदम की लेफ्ट पार्टियों ने जमकर आलोचना की है. वामदलों का बयान आया है कि केंद्र पिछले दरवाजे से संशोधित नागरिकता कानून लेकर आया है और यह उसके फासीवादी चरित्र को दर्शाता है.
बहरहाल, एक तरफ एक गुट पड़ोसी देशों में सताया गया लोगों को नागरिकता देने का विरोध कर रहा है, दूसरी और खुद प्रवासियों का कहना है कि उन्हें सरकार के इस फैसले से राहत का अहसास हुआ है.
ऐसे कुछ सीख शरणार्थी जो पाकिस्तान से पंजाब के लुधियाना आए हुए हैं, उन्होंने कहा कि उन्हें काफी खुशी है कि केंद्र सरकार ने पीड़ितों से नागरिकता के आवेदन मंगाए हैं. अमेरिका सिंह नाम के एक व्यक्ति ने बताया कि वह 2013 में अफगानिस्तान के काबू से भागकर भारत आए थे. उन्होंने अपने बयान में कहा कि,’ हम पर जबरदस्ती इस्लाम धर्म कबूल ने का दबाव बनाया जा रहा था. सरकार के नागरिकता देने के फैसले पर उनका शुक्रिया अदा करते हैं.’
वह शरणार्थी जो अफगानिस्तान से भारत आए हैं जिनमें सिख और हिंदू शामिल हैं, लंबे समय से आतंकवाद से प्रभावित रहे हैं. यहां अल-कायदा के साथ कुछ कट्टरपंथी संगठन भी धर्म परिवर्तन कराने का दबाव बनाते रहे. ऐसा मैं पिछले कई सालों से इन दोनों धर्म के लोग भारत में शरण लेने के लिए आते रहे हैं.
भारत में CAA लाने के पीछे यही कारण थे. इसे समस्या को सुलझाने के लिए भारत में CAA को लाया गया. परंतु अब तक इसके नियम टाइम नहीं हो पाए हैं. इस परिस्थिति के कारण कई शरणार्थी पहले जैसी स्थिति में ही रहने के लिए मजबूर है. कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कई लोग हम भारत छोड़कर अफगानिस्तान जाना भी शुरू कर चुके हैं इस आशा में कि वहां स्थिति पहले से बेहतर होगी.