अपने अटपटी बातों से अपने ही दल की सरकार को सकते में डालने वाले भाजपा सांसद डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि भारत के वित्त मंत्रालय में कम बुद्धि, लो आइक्यू की वाले लोग हैं.
उन्होंने यह बात एक अमेरिकी चैनल Valuetainment के पैट्रिक डेट डेविड को इंटरव्यू देते हुए कहीं. एंकर सबसे पहले उनसे सवाल पूछ कर गांधी और नेहरू पर टिप्पणियां करवाता रहा. फिर वह उनको सीधे प्रधानमंत्री मोदी पर ला दिया. डॉक्टर स्वामी जाने के लिए तो अच्छी बातें कर पाते हैं लेकिन उनके वारिस नेहरू के लिए वे तारीफ में कुछ नहीं कर पाते.
इस पर डेविड प्रधानमंत्री मोदी का जिक्र करते हुए कहते हैं की,’आप उनको 70 के दशक से जानते हैं और ब्लंट प्राइम मिनिस्टर की संज्ञा देते हैं. एक बार आपने उनको भोला, अनोखा वहीं अर्थशास्त्री भी कहा है लेकिन खुद आपने भी कभी चाहा था कि आपको मोदी मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री का ओहदा दिया जाए. अब आप यह बताइए कि अगर आपको भारत का वित्त मंत्री बना दिया जाए तो आप अपने देश को चीन और अमेरिका के टक्कर में भारतीय अर्थव्यवस्था को कैसे आगे ले जाएंगे.’
इस प्रश्न के जवाब में डॉक्टर स्वामी मुस्कुरा कर स्वीकारते हैं कि हां वह मोदी को 70 के दशक से जानते हैं. आगे वह कहते हैं कि,’ मेरे मित्र हैं वह इसके आगे उन्होंने ब्लंट और भोला अनुभवहीन अर्थशास्त्री कहानी से इंकार करते हुए कहते हैं कि मोदी अर्थव्यवस्था के बारे में जानते ही नहीं,’ इसके बाद उन्होंने खुद ही कहा कि यह ज्यादा कड़ा शब्द है.
आगे वह बताते हैं कि ,’दरअसल देश के वित्त मंत्रालय में लो आइक्यू यानी अल्प बुद्धि वाले लोग हैं. मैं चौकी प्रधानमंत्री का पुराना दोस्त हूं तो जानता हूं कि उन्हें ऐसे लोग अच्छे लगते हैं. वे आज्ञाकारी लोगों को पसंद करते हैं, जो उनकी कमजोरी है. वे चाहते हैं कि लोग उनके लिए काम करें. स्वतंत्र रूप से काम करने वाले लोग उन्हें पसंद नहीं. मुझे इसी वजह से दूर रखा गया है.’
एंकर द्वारा पूछे गए सवाल पर वापस लौटते हुए उन्होंने कहा कि,’ कोविड-19 की वजह से देश सकल घरेलू मांग की कमी से जूझ रहा है. कामगार वर्ग और मध्यवर्ग की आय में भारी कमी आई है. शोरूम में में कारों जैसे उत्पाद की लाइन लगी है लेकिन उन्हें खरीदार मिल नहीं पा रहे हैं. मांग में भारी कमी आई है.
इसलिए हमको वह उपाय करने होंगे जिससे कि देश में मांग पैदा. यहां मांग तभी पैदा होगी जब देशवासियों की जेब में पैसा हो. डॉक्टर स्वामी पहला सुझाव लोगों के हाथ में सीधे पैसा रखे जाने का देते हैं पर याद दिलाते हैं कि अमेरिका में भी ऐसा ही किया गया था. दूसरा सुझाव ब्याज दरों में कमी कर देते हैं. बताते हैं कि अमेरिका में जहां दो पर्सेंट ब्याज दर है भारत में अगर कोई कारोबारी लोन चाहता है तो उसे 12% देना पड़ता है, जो बैंक वालों को समझाते समझाते 15% तक चला जाता है. ब्याज दर में कमी की वजह से निवेश होंगे और कारोबारियों को सफलता मिलेगी.
आप खुद को अमेरिका के किस नेता जैसा पाते हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा रोनाल्ड रिगन.