सुशील कुमार की तरह 33 साल पहले फंसे थे नवजोत सिंह सिद्धू, सड़क पर की थी; मारपीट देना पड़ा था लोकसभा से इस्तीफा

पहलवान सागर राणा हत्याकांड में ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार पुलिस की हिरासत में. पुलिस द्वारा उनसे पूछताछ जारी है. सागर राणा हत्याकांड ने 33 साल पहले एक मामले की याद दिल जाती है. जी हां , बात 27 दिसंबर 1988 की है जब पटियाला में नवजोत सिंह सिद्धू की ओर नाम से लड़ाई हो जाती है. इस दौरान सिद्धू गुरनाम सिंह को घुसा मार देते हैं. बाद में अस्पताल में गुरु नाम से एक की मौत हो जाती है.

सेशन कोर्ट में नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ मुकदमा चलता है. सितंबर 1999 में पटियाला के जिला एवं सत्र न्यायालय में इस मामले की सुनवाई का फैसला होता है. कोर्ट इस मामले को 302 क्योंकि दोनों एक दूसरे को पहले से जानते नहीं थे. लड़ाई के दौरान किसी हथियार का इस्तेमाल भी नहीं हुआ था. एक तरह से यह गुस्से में अचानक से हुई कार्रवाई थी. अदालत ने नवजोत सिंह सिद्धू को सबूतों के अभाव में इस पूरे मामले को बरी कर दिया.

साल 2002 में पंजाब सरकार ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपनी अपील हाईकोर्ट में की. साल 2006 में हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलट दिया और सिद्धू को दोषी मानते हुए 3 साल की सजा सुनाई. कुछ समय नवजोत सिंह सिद्दू अमृतसर लोकसभा के सांसद थे. लेकिन सजा होने के चलते उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद उन्होंने 11 जनवरी 2007 को कोर्ट में सरेंडर कर दिया.

इसके अगले ही दिन 12 जनवरी 2007 को नवजोत अरुण जेटली को अपना वकील बनाया जहां पर अरुण जेटली ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी. इसके बाद नवजोत सिंह सिद्धू को जमानत मिल गई.

हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगने से नवजोत सिंह सिद्धू फिर से चुनाव लड़ने के हकदार हो गए जिसके बाद उन्होंने अमृतसर से भाजपा के टिकट पर उपचुनाव लड़ा और जीत हासिल की. सुप्रीम कोर्ट ने मई 2018 में नवजोत सिंह सिद्धू को इस मामले में पूरी तरह से बरी कर दिया. इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस वक्त यह लड़ाई हुई तब नवजोत सिंह सिद्धू और गुरनाम सिंह दोनों एक दूसरे को जानते नहीं, इसलिए पुरानी दुश्मनी नहीं हो सकती. दोनों में से किसी के पास हथियार नहीं था.

हथियार नहीं होने पर बेनिफिट आफ डाउट दिया जाता है. इसी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने 304 (गैर इरादतन हत्या) हटाकर 323 (किसी को चोट पहुंचाना, इसमें अधिकतम 1 साल की सजा या ₹100000 जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है) धारा लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की सजा पलटते हुए सिद्धू को 1 लाख जुर्माना भरने की सजा सुनाई.

हालांकि,गुरनाम सिंह के बेटे ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले पर गौर करने की दोबारा अपील की है जिसका फैसला अब तक नहीं आया है.

बहरहाल, सुशील कुमार का मामला यहां पर नवजोत सिंह थोड़ा अलग है. यहां सुशील और राणा दोनों एक दूसरे को जानते थे और दोनों के बीच गहरी दुश्मनी भी थी. कहीं ना कहीं प्रॉपर्टी और उनको खाली करने का उद्देश्य भी था. यहां पर एक गैंग को नीचा दिखाने की भी कोशिश की जा रही थी. इस केस में घटनास्थल पर दो गोलियां भी चली थी. इस तरह से नवजोत सिंह सिद्धू के केस के मुकाबले या केस ज्यादा मजबूत दिखता है.

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