उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव के परिणाम के बाद (जिसमें बीजेपी को भारी पराजय का सामना करना पड़ा है) आजकल मीडिया यह चर्चा बनी हुई है कि योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने रहेंगे या नहीं?
इस चर्चा का महत्वपूर्ण टॉपिक कोविड-19 महामारी, किसान आंदोलन और बढ़ती बेरोजगारी के कारण बीजेपी फरवरी 2020 के विधानसभा चुनाव में जीतेगी या नहीं,यही सब है. मेरे विचार से पूर्ण रूप से निरर्थक हैं.
हर राजनीतिक प्रणाली और राजनीतिक कार्यवाही की एक ही परख है, और वह यह है कि कि क्या उससे आम आदमी का जीवन स्तर ऊंचा हो रहा है या नहीं? इसका मतलब लोगों को अच्छी शिक्षा, अच्छे स्वास्थ्य सेवा, सड़क बिजली, पानी का अच्छा स्तर मिल रहा है या? आने जाने वाले दिनों में बीजेपी के सत्ता में ना रहने से क्या आम लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा, बेरोजगारी घटेगी, महंगाई-कुपोषण में कमी आएगी या वैसे ही बने रहेंगे? यह कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न है जिसका उत्तर जानना बेहद कठिन है.
सत्ता में कोई भी हो, मुख्य सवाल यह है कि कैसे आम आदमी के जीवन स्तर का मौलिक परिवर्तन हो और उससे बेहतर जिंदगी प्रदान हो. मेरी समझ में यह संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली के अंतर्गत नहीं हो सकता बल्कि इसके लिए एक ऐतिहासिक क्रांतिकारी जन संघर्ष करना होगा. इसके अलावा भारत की जनता के पास कोई और विकल्प भी नहीं है.
इस महान जन संघर्ष में बड़ी सारी कुर्बानियां देनी पड़ती है जिसके लिए लोगों को तैयार रहना पड़ेगा. इस क्रांति में कई उतार-चढ़ाव मिलेंगे. इसके बाद ही ऐसी राजनीतिक व्यवस्था बनेगी जिसमें तेजी से औद्योगिकरण होगा और जनता को एक बेहतर जीवन स्तर मिल सकेगा.
-जस्टिस मार्कंडेय काटजू की कलम से