बौद्ध लोगों के शवों को कोविड ग्रसित शव बता Aaj Tak ने चलाई योगी-विरोधी खबर, महंत ने किया भंडा-फोड़

आज की स्थिति में अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद किसी बीजेपी नेता की लोकप्रियता सबसे अधिक है, तो वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही हैं। उनके शासनकाल में उत्तर प्रदेश की छवि को बर्बाद करने के लिए लिबरल मीडिया पूरी कोशिशें करता रहता है। कुछ इसी तरह इंडिया टुडे ग्रुप के हिंदी न्यूज चैनल ‘आज तक’ ने प्रयागराज में शवों के अंतिम संस्कार को लेकर एक Fake news फैलाई है। चैनल ने अपनी रिपोर्ट में संगम की रेत में हिन्दुओं के शव दफन होने की बात कही है, जबकि इस मामले में प्रयागराज के स्थानीय लोगों और प्रशासन ने इस Fake news का पर्दाफाश करते हुए बताया है कि वो दफ्न शव बौद्ध धर्म के लोगों के हैं।

कोरोनावायरस के कारण देश में मौतों का आंकड़ा काफी तेजी के साथ बढ़ रहा है, जिसके चलते उत्तर प्रदेश की स्थिति भी थोड़ी बिगड़ रही है। ऐसे में लिबरल मीडिया उत्तर प्रदेश में गिद्ध की भूमिका में आ गए है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि को ख़राब करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में आज तक ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की और बताया कि कैसे उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हिंदुओं के शवों के अंतिम संस्कार के लिए कोई सुविधा मौजूद नहीं है, जिसके चलते गरीब लोग शवों को दफना रहे हैं।

इतना ही नहीं चैनल ने दावा किया है कि पिछले दो महीनों में लगातार यहां शव दफनाए गए हैं, जिसके चलते लाशों का अंबार लगा हुआ है। आज तक का मनना ये है कि ये सभी कोविड से संक्रमित थे और इसलिए दफनाए गए हैं। ऐसे में अब आज तक की इस Fake news का खुलासा हुआ है। खबरों के मुताबिक वहां पर बौद्ध धर्म के लोग अपने मृत परिजनों के अंतिम संस्कार के लिए उन्हें दफनाने आते हैं।‌ वॉशिंगटन पोस्ट की खबर के मुताबिक एक तीस वर्षीय युवक अपने बौद्ध परिवार के अन्य सदस्यों के साथ प्रयागराज में नदी के किनारे आया और हार्ट अटैक के कारण मृत हुई अपनी मां को दफना कर चला गया।

इस मामले में इलाके के पुरोहित महंत जगतनारायण मिश्रा ने बताया कि वो पिछले 40 साल से वहां पुरोहित का काम कर रहे हैं। इस दौरान शवों को दफनाने की प्रक्रिया यूं ही चलती रही है। बौद्ध धर्म के लोग अपनी संस्कृति के अनुसार शवों को दफनाते है। वहीं गरीब लोग भी इसी प्रक्रिया का अनुपालन करते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि शवों की स्थिति यहां के लिए आम बात है। महंत का ये बयान दर्शाता है कि एक आम सी बात पर कोरोना का ठप्पा लगाकर प्रोपेगैंडा चलाया जा रहा है।

वहीं इस मामले में प्रशासन और पुलिस कर्मियों का कहना है कि पुलिस ने यहां शमशान घाट बनाया था, लेकिन किसी को भी शवों के दफन करने की अनुमति नहीं है, लेकिन बौद्ध धर्म की रीति के अनुसार मृतकों के शवों को दफनाया जाता है। इसलिए उन्हें छूट दी गई है। इससे यह साफ है कि वहां जो शव हैं वो हिंदुओं के नहीं बल्कि बौद्ध धर्म के लोगों के हैं। वॉशिंगटन पोस्ट की खबर के जरिए ये कहा जा सकता है कि आज तक की रिपोर्ट में झोल हैं, जो कि ग्राउंड रिपोर्ट के नाम पर अपना प्रोपेगैंडा चला रहे हैं।

इन सभी लिबरल मीडिया संस्थानों के निशाने पर योगी आदित्यनाथ शुरू से ही रहे हैं, वहीं आज तक की प्रयागराज को लेकर दिखाई गई इस Fake news से एक बार फिर साबित हो गया है, किस तरह से उत्तर प्रदेश के सीएम के खिलाफ कोरोना काल में प्रोपेगैंडा चलाया जा रहा है।

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