याकूब मेनन के फांसी रोकने के लिए आधी रात को कोर्ट खुलवाने वाले प्रशांत भूषण एक बार फिर से सुर्खियों में आ गए हैं. इस बार उन्होंने रोहिंग्या को लेकर अपनी बात कही है. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर जम्मू की जेल में हिरासत में रखे गए डेढ़ सौ से ज्यादा रोहिंग्या को रिहा किए जाने की बात कही.
Days after authorities in Jammu detained 170 Rohingyas, a plea has been filed in Supreme Court seeking directions for their immediate release and to restrain the Centre from deporting them.
Plea was filed by Rohingya refugee Mohammad Salimullah through advocate Prashant Bhushan.
— Anshul Saxena (@AskAnshul) March 12, 2021
इस ट्वीट से वह फिर से सुर्खियों में आ गए हैं और उनको जमकर भला बुरा कहा जा रहा है. इस याचिका में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की है कि वह संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी (UNHCR) को इस मामले में हस्तक्षेप करने की अनुमति प्रदान करें. जिससे कि निष्पक्ष कार्रवाई हो सके.
Anti Nationals spotted :: Rohingya refugee Mohammad Salimullah through advocate Prashant Bhushan filed a petition to stop the deportation . I wonder how did Salimullah reach out to Prashant Bhushan ?
— Geetha Kothapalli (Modi Ka Parivar) (@Geethak_MP) March 13, 2021
अपील में कहा गया है कि रोहिंग्या खतरों का सामना सरकारी सर्कुलर की वजह से करना पड़ रहा है. भारत में शरणार्थियों के लिए कानून ना होना और रोहिंग्याओं को अवैध प्रवासी माना जाता है, जिन्हें फॉरेनर्स एक्ट 1946 और फॉरेनर्स ऑर्डर 1948 के अंतर्गत कभी भी अपने देश भेजा जा सकता है.
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से देश के अलग-अलग हिस्सों ऐसे रोहिंग्या मुसलमान पकड़े जा रहे हैं जो जाली दस्तावेज दिखाकर देश का नागरिक बनने की कोशिश कर रहे थे. इन लोगों के पास यात्रा करने के बाद दस्तावेज भी नहीं थे.