कोरोना काल में पूरे भारत में दवाइयों की कालाबाजारी देखने को मिल रही है. उसके लिए प्रशासन प्रतिदिन नए नियम बना रही है. इस विकट परिस्थिति में जब पूरे देश में दवाओं की मारामारी चल रही है तो ऐसे में एक ही टैग में कैसे कोई एक्टर या सेलिब्रिटी सबको दवाइयां मुहैया करा दे रहा है इस पर सवाल खड़े हो चुके हैं.
इस स्थिति को मुंबई हाई कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए कहां के आखिरकार दवाइयां जब कारखाने में नहीं हैं तो इन हस्तियों और नेताओं के पास कैसे मौजूद हैं. बॉम्बे हाई कोर्ट में इस पर नोटिस जारी करते हुए केंद्र और राज्य सरकार से सवाल किया है कि कैसे मशहूर हस्तियों और नेताओं के पास मेडिकल की सामग्रियां उपलब्ध हो जा रही हैं. यह हस्तियां कैसे बिना किसी मेडिकल लाइसेंस या पर्चे के मूर्ति में दवा का वितरण कर सकती हैं.
इसके साथ-साथ कोर्ट ने यह भी कहा कि,’ कौन गारंटी देगा कि इन हस्तियों द्वारा दी जा रही दवाएं उचित गुणवत्ता की है या नहीं. इन दवाओं को आवंटित केंद्र सरकार करती हैं, उसके बाद राज्य सरकार इन का संग्रहण करते हैं. इन सबके बीच इन हस्तियों की एंट्री आखिर कैसे हो जाती है? यही हमारी सबसे बड़ी चिंता है.’
बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता राजेश इनामदार ने बताया कि जब मरीज अस्पतालों से दवा पाने में असमर्थ हुए उन्होंने इन हस्तियों की तरफ रुख किया. मुंबई हाई कोर्ट ने कहा कि जब राज्य में आपूर्ति की कमी की शिकायत आ रही है इसके बावजूद इन राजनेताओं के पास इतनी बड़ी मात्रा में दबाए कैसे उपलब्ध हैं.