भारत एक ऐसा देश है जहां के कानून इतने बेचीदे हैं की आम आदमी के समझ के ही बाहर हैं. इसी के साथ सरकारी बाबुओं की तो बात ही अलग है. अब एक नया मामला सामने आ रहा है जो भारत के इतिहास का शायद पहला मामला होगा. यह भी हो सकता है की भारतीय संविधान में इसका प्रावधान ही न हो.
मामला है की 22 मार्च को बेंगलुरु से राजस्थान जाते समय इंडिगो की फ्लाइट में ललिता नाम की एक महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया हैं. जन्म देना तो ललिता के लिए फिर भी आसान था लेकिन अब उसे सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहें हैं क्योंकि सरकारी बाबू उसके बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र नहीं बना रहे.
यह दंपति अजमेर की रहने वाली है और फ्लाइट जयपुर में लैंड हुई थी ऐसे में जन्म प्रमाण पत्र के लिए जवाबदेही जयपुर एयरपोर्ट की थी. बच्चे के पिता भैरू सिंह का कहना है की, जयपुर के सरकारी बाबू कहते है की बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र अजमेर में बनेगा और अजमेर वाले कहते है की जयपुर में बनेगा.
बच्चे का पिता भैरू सिंह ज्यादा पढ़ा लिखा भी नहीं है. ऐसे में उसके पास सरकारी बाबू उसे जहां जाने को बोलते है वो वहीं चला जाता है, जयपुर एयरपोर्ट के अधिकारी भी उसकी इस मामले में किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं कर रहे. अजमेर जिले के ब्यावर उपखंड की जालिया ग्राम पंचायत के रूपवास गांव के रहने वाले भैरू सिंह का कहना है की मैं इन सबके चक्कर काट-काट कर थक चूका हूँ.
भैरू सिंह ने बताया की मैं बेंगलुरु में ऑटो चलाने वाला व्यक्ति हूँ. मेरी पत्नी गर्भवती थी और हम अपने बच्चे का जन्म अपने घर या घर के नजदीकी हॉस्पिटल में करवाना चाहते थे. जिससे बच्चा होने के मेरा परिवार इसकी देखभाल कर सके और मैं निश्चिन्त होकर वापिस काम पर जा सकू.
हमने प्लेन में आने का फैसला किया लेकिन रास्ते में ही बच्चे को जन्म देने की नौबत आ गयी. अब हालात यह है की उसके जन्म प्रमाण पत्र को बनवाने के चक्कर में मैं न तो वापिस बेंगलुरु जा पा रहा हूँ और न ही पैसे कमा पा रहा हूँ. ऐसे में सवाल यह उठता है की क्या भारत में ऐसा कोई कानून है भी या नहीं, अगर बच्चा आसमान में जन्म लेता है तो उसकी नागरिकता किस राज्य या जिले की होगी?