पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के राज में पाकिस्तान कर्ज़े में डूबने के मुहाने पर खड़ा हैं. इमरान खान विदेशों से क़र्ज़ न लेकर और क़र्ज़ कम करने का वादा कर चुनाव जीते थे. चुनाव जीतने के बाद इमरान खान के राज में पाकिस्तान ने चीन और अन्य देशों से इतना क़र्ज़ लिया है की पाकिस्तान कभी भी दिवालिया घोषित किया जा सकता हैं.
इस वक़्त पाकिस्तान का भविष्य चीन से मिलने वाली 11 अरब अमेरिकी डॉलर पर टिका है. यह भी क़र्ज़ ही है लेकिन इस क़र्ज़ से वह अपने दिवालिया होने के समय को थोड़ा आगे बढ़ा सकता हैं. इस समय के अंतराल में वह पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को काबू करने का प्रयास करेंगे, लेकिन यह प्रयास कितने कारगर साबित होते हैं यह देखने वाला होगा.
IMF ने पाकिस्तान की सरकार पर इसी साल सितम्बर तक पाकिस्तान के लोगों पर 600 अरब रूपए के बराबर नए टैक्स लगाने की शर्त रखी हैं. यह शर्त उन 11 शर्तों में से एक है जो IMF ने पाकिस्तान को क़र्ज़ से बाहर निकलने में मदद करेगा. लेकिन यह काफी नहीं होगा क्योंकि पाकिस्तान इस टैक्स के साथ ही नया क़र्ज़ लेने जा रहा है जिसे उतारने के लिए उसे अपने देश में अतिरिक्त टैक्स लगाना पड़ेगा.
IMF की रिपोर्ट की माने तो पाकिस्तान की सरकार इस साल यूएई से 2 अरब डॉलर, विश्व बैंक से 2.8 अरब डॉलर, जी-20 से 1.8 अरब डॉलर, एशियाई विकास बैंक से 1.1 अरब डॉलर और इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक से 1 अरब डॉलर के साथ साथ अपने मित्र देश चीन से 10.8 अरब डॉलर लेने जा रही हैं.
IMF की रिपोर्ट में साफ़ कहा गया है की पाकिस्तान चीन के क़र्ज़ के तले दबने लगा है और अगर पाकिस्तान ने जल्द ही अपनी आर्थिक स्थितियों में सुधार नहीं किया तो यह जल्द ही पूरी तरह से चीन की आर्थिक गुलामी का शिकार हो जाएगा. अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान दुनिया का पहला वह देश होगा जिसे चीन अपने Loan-Trap में फसाकर उसपर कानूनी रूप से कब्ज़ा करेगा.