आज की सबसे बड़ी खबर महाराष्ट्र से आ रही हैं. महाराष्ट्र की सरकार में 100 करोड़ रूपए प्रति महीना की उगाही वाले मंत्री के इस्तीफे को लेकर आखिरकार महाराष्ट्र की मुंबई हाइकोर्ट को बीच में आना पड़ा. महाराष्ट्र में जब से महा विकास अघाड़ी नाम का गठबंधन बना है तब से ही यह गठबंधन मीडिया की चर्चाओं का हिस्सा रहा हैं.
पैसे न होने का हवाला देते हुए महाराष्ट्र में चल रहे सभी विकास कार्यों को रोकना हो या फिर सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या का मामला हो. कोरोना के सबसे अधिक मामले हो या फिर एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति के घर के बाहर मुंबई पुलिस से बम से भरी कार रखवाना हो और अगर कोई महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ बोले तो उसे जेल की हवा खिलवाना हो.
जब से यह सरकार बनी हैं बस ऐसी ही चर्चाओं के लिए महाराष्ट्र की सरकार मीडिया का हिस्सा बनी हैं. लेकिन अब इस सरकार में एक सेंध लग गया है और यह सेंध अनिल देशमुख नाम के मंत्री के चलते लगी हैं. महाराष्ट्र की पुलिस पर ही जब आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के सबूत सामने आने लगे तो महाराष्ट्र में CBI को बैन करने की मांग करने वाले पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने ही महाराष्ट्र के गृह मंत्री के खिलाफ CBI जांच के लिए कोर्ट में अपील दायर कर देते हैं.
अब खबर है की अनिल देशमुख ने शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार के साथ एक मीटिंग करते हुए अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया हैं. राज्य गृहमंत्री पद से इस्तीफ़ा के पीछे उन्होंने अपनी नैतिक जिम्मेदारी बताया हैं. वहीं मुंबई हाईकोर्ट का कहना है की यह राज्य के गृहमंत्री से जुड़ा हुआ मामला है और आरोप कोई छोटा नहीं हैं.
इसलिए मुंबई पुलिस इस आरोप की जांच निष्पक्ष रूप से नहीं कर सकेगी. बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच को CBI को सौंप दिया हैं और इसी के साथ महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के लिए मुसीबत भी खड़ी हो गयी हैं. दरअसल देश के गृहमंत्री अमित शाह कुछ दिन पहले अहमदाबाद में थे और उनके पीछे-पीछे शरद पवार भी उनसे मिलने पहुँच गए.
ऐसे में इस मुलाकात को लेकर दोनों ही नेताओं ने मीडिया के सामने कुछ भी ब्यान करना जरूरी नहीं समझा. अमित शाह से जब एक मीडिया कर्मी ने सवाल पूछा तो उन्होंने साफ़ तौर पर कह दिया की सभी चीजें सार्वजनिक नहीं की जा सकती. ऐसे में राजनितिक पंडितों को महाराष्ट्र में वही होता हुआ दिख रहा है जो बिहार में JDU और RJD के गठबंधन में हुआ था.