बचपन में आपने यह तो सुना ही होगा की एक एस्ट्रोइड के धरती पर टकराने के बाद ऐसी तबाही हुई थी की पूरी दुनिया से ही डाइनोसॉर्स का नामोनिशान मिट गया था. ऐसे में आपके मन में भी यह सवाल जरूर आया होगा की आखिर डाइनोसॉर्स के साथ-साथ बाकी के जानवरों का नामोनिशान क्यों नहीं मिटा?
अब इस सवाल का जवाब भी मिल गया हैं, असोसिएट प्रफेसर ऑफ ऑर्गैनिज्मिक ऐंड एवलूशन बायॉलजी डॉ. स्टेफनी पियर्स जो की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रफेसर हैं. उन्होंने इस राज़ से पर्दा उठा दिया हैं. उन्होंने अपनी इस स्टडी में मगरमछ के बारे में बात करते हुए कहा है की एक वक़्त के बाद मगरमछ जमीन पर चलना, पानी में तैरना, मछली पकड़ना और यहाँ तक की पौधे खाना भी सीख गए थे.
इस स्टडी में पता चला की उस समय तक मगरमछ महासागरों और नदियों दोनों में रहना सीख चुके थे. यही कारण उनकी प्रजाति बची रहने का भी हैं. यह पूरी स्टडी 23 करोड़ साल पहले के इकट्ठा किए गए 200 खोपड़ों और जबड़ों की जांच के दौरान की गयी हैं.
प्रोफ़ेसर ने कहा की 23 करोड़ साल पहले मिले अवशेषों के मुकाबले में आज के मगरमछ अलग हैं. आज के मगरमछों की प्रजाति 8 करोड़ साल पहले विकसित हुई होगी. वहीं 23 करोड़ साल पहले मिले अवशेषों में तो हमें कुछ ऐसी मगरमछ भी मिले हैं जो स्तनधारी होने का प्रमाण देते हैं. इन मगरमच्छों और इनके पूर्वजों के बीच एक बड़ी जैव-विविधता देखने को मिलती हैं.
प्रोफेसर ने कहा की हमें लगता है उस समय बड़े हुए तापमान के चलते मगरमच्छों में यह बदलाव मुमकिन हुआ हो. लेकिन अभी पूरी तरह से हम इसका सटीक जवाव नहीं दे सकते की आखिर मगरमच्छों के पूर्वजों की तुलना में आज के मगरमच्छों में इतना बदलाव क्यों हैं. इस स्टडी से यह बात तो साफ़ है की उस घटना में जो जीव धरती पर जिन्दा रह भी गए तब भी उनमे बड़ा बदलाव हमें जरूर देखने को मिला हैं. अब क्योंकि अवशेष 23 करोड़ साल पुराने हैं तो इसलिए हम केवल अनुमान ही लगा सकते हैं.