भारत का पडोसी देश एक वामपंथी देश हैं वैसे तो वामपंथी शादी जैसे बंधन को फालतू का बताते हैं लेकिन यह सब ज्ञान वह उन देशों में देना पसंद करते हैं जिन देशों में लोकतंत्र की सरकार होती हैं. चीन में लोग शादी करते है और बहुत ही धूम धाम से करते हैं, भारत की तरह चीन में भी शादियों में रिश्तेदारों और दोस्तों को बुलाया जाता हैं और बड़ी-बड़ी दावत होती हैं.
इस दौरान रिश्तेदार और दोस्त मिलकर कुछ खेल भी खेलते हैं और इन्हीं खेलों में एक खेल ऐसा भी होता है जो नवविवाहित जोड़े के लिए शर्मिंदगी का कारन बनता हैं. जैसे की दूल्हे और दुल्हन के सरे कपडे उतरवार उन्हें कम्बल में लेटा देना, उनके कपडे उतरवाकर उनपर स्याही फेंकना, उनके कपडे दुर फेंक देना जिसके बाद वो अपने कपडे पहनने के लिए इधर उधर भागते हैं.
आज़ादी के इतने सालों बाद अब जाकर चीन के शेनडॉन्ग प्रांत के जॉपिंग सिटी में एक नोटिस जारी कर ऐसे खेलों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया हैं. इससे पहले लम्बे समय तक युवा ऐसे खेलों की आलोचना करते रहें हैं लेकिन वामपंथी सरकार लोगों की बातें सुनती ही कहाँ हैं.
दरअसल वामपंथी सरकार लोकतान्त्रिक सरकार नहीं होती, वहां पांच साल बाद चुनाव नहीं होते. इसलिए कई बार चीजे गलत होने के बावजूद लोगों की बातों को नहीं माना जाता. वामपंथी सरकार यह नहीं चाहती की लोग अपनी मांगे सरकार से मनवाये अगर ऐसा हुआ तो धीरे-धीरे लोगों की मांगे बढ़ने लगेगी जो देश को लोकतंत्र की तरफ ले जायेंगी.
भारत में वामपंथी जब लोकतंत्र और बोलने की आज़ादी की बात करते हैं तो यह सबसे हैरानी की बात होती हैं. इतिहास गवाह है जब किसी देश में वामपंथी सरकार बनी हैं उसके बाद वहां कभी चुनाव नहीं हुए. बोलने की आज़ादी क्या होती है वो आपको चीन में रह रहे उइगर मुस्लिम लोगों से पूछना चाहिए.
खैर चीन में इस रिवाज़ के विरोध में आवाज़ 2013 में सबसे पहले उठाई गयी थी. उससे पहले भी लोग नाराज़ थे लेकिन खुले तौर पर कोई बोलकर सरकार का दुश्मन नहीं बनना चाहता था. ऐसे में 2013 में एक घटना हुई जिसमें इसी तरह के खेल में नवविवाहित दूल्हे और दुल्हन का यौन शोषण हुआ उसके बाद वह पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) का शिकार हो गए जिसके बाद इस खेल के प्रति समाज एकत्रित हुआ और लगभग 8 साल बाद सरकार को लोगों की सुननी पड़ी.