वैसे तो इस साल कुल पांच राज्यों में चुनाव होने जा रहें हैं लेकिन पुरे देश का ध्यान इस वक़्त सबसे ज्यादा पश्चमी बंगाल के चुनावों के परिणाम पर टिका हुआ हैं. ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस का सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के साथ हैं. कांग्रेस, CPI और AIMIM तो केवल तृणमूल कांग्रेस का बैकअप हैं.
अगर राज्य में किसी को भी बहुमत नहीं मिला तो इस सूरत में कांग्रेस, CPI और AIMIM तृणमूल कांग्रेस के साथ मिलकर सत्ता में आना चाहेंगी. हमने यह पहले महाराष्ट्र में देखा हैं, जहाँ सत्ता के लालच में एक्सट्रीम हिंदूवादी पार्टी शिवसेना ने भी सेकुलरिज्म का राग अलापते हुए एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया था.
आपको पता होगा की पश्चमी बंगाल में 8 चरणों में चुनाव होने जा रहें है और 2 मई को इसके परिणाम घोषित होंगे. 27 मार्च को पहले चरण के चुनाव होंगे और इसका आखिरी ओपिनियन पोल भी अब सामने आ चूका हैं. यह परिणाम चौकाने वाले हैं, लगभग 40 प्रतिशत लोगों का मानना हैं की ममता बनर्जी को सहानुभूति वोट हासिल हो सकते हैं.
राजनीती में सहानुभूति वोट के क्या मायने हैं यह हमने इंदिरा गाँधी के जमाने से देखा है और आज डिजिटल जमाने के बावजूद लोग सहानुभूति वोट देते हैं या नहीं यह सच में हैरान करने वाला होगा. 2016 में भी बीजेपी जीत के बड़े-बड़े दावों के साथ मैदान में उतरी थी लेकिन मात्र 3 सीटों के साथ ही बीजेपी को संतोष करना पड़ा था 297 विधानसभा वाली पश्चमी बंगाल में ममता बनर्जी ने 211 सीटों पर जीत हासिल की थी.
पहले चरण के चुनाव के ठीक पहले आये आखिरी ओपिनियन पोल की बात करें तो सम्भावना जताई जा रही है की बीजेपी को इस बार 104-120 सीटों पर जीत हासिल हो सकती हैं. वहीं तृणमूल कांग्रेस को 152-168 सीटें हासिल हो सकती हैं. कांग्रेस और लेफ्ट पहले ही गठबंधन कर चुके हैं और मुस्लिम बहुल इलाकों में असदुद्दीन ओवैसी के साथ साथ अन्य को कुल मिलकर 18-28 सीटें मिल सकती हैं.
इस बार के ओपिनियन पोल्स की बात करें तो मामला साफ़ दिखाई नहीं दे रहा. देश के बहुत सारे जाने माने न्यूज़ चैनल्स के ओपिनियन पोल में बीजेपी को जीत मिल रही हैं और दूसरी तरफ बहुत सारे ओपिनियन पोल में तृणमूल कांग्रेस की वापसी दिखाई दे रही हैं. ऐसे में अगर किसी भी पार्टी को सम्पूर्ण बहुमत न मिला तो इसमें हैरान कर देने वाली कोई बात नहीं होगी.