इंडियन नेशनल कांग्रेस से अलग होकर पार्टी बनाने वाली ममता बनर्जी पिछले 10 साल से पश्चमी बंगाल की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठी हुई हैं. इस चुनाव में बीजेपी उनको कड़ी टक्कर देते हुए नज़र तो आ रही है लेकिन ममता बनर्जी की पैर की चोट इस बार सहानुभूति लहर चला रही हैं. ऊपर से बीजेपी ने अपना मुख्यमंत्री पद का चेहरे का भी ऐलान नहीं किया ऐसे में इस कड़ी टक्कर के बावजूद Oppinion Poll तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में जाते हुए दिखाई दे रहें हैं.
अटल बिहारी वाजपई कहते थे की हम किसी इंसान की नीतियों का विरोध कर सकते हैं लेकिन उस इंसान का विरोध करना राजनीती में जायज़ नहीं. इसीलिए आज हम आपको अटल बिहारी वाजपई और ममता बनर्जी का एक किस्सा सुनाने जा रहें हैं. एक जमाना हुआ करता था जब तृणमूल कांग्रेस भी एनडीए का हिस्सा हुआ करती थी.
ममता बनर्जी और अटल बिहारी वाजपेयी जी के बीच एक अच्छा राजनितिक तालमेल था. यही कारन हैं की एक बार अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जिद्द करते हुए कह दिया था की अगर आप नहीं माने तो मैं भी खाना नहीं खाऊंगा. 1998 वह साल था जब पश्चमी बंगाल में कांग्रेस टूट गयी थी और ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस नाम की एक पार्टी का गठन किया था और उसी के बाद ममता NDA का हिस्सा बन गयी थी.
1998 से लेकर 2001 तक अटल जी के दौर में ममता बनर्जी भी केंद्र सरकार का हिस्सा रही थी. 2001 में उन्होंने रेल मंत्री का पद भी संभाला था लेकिन तहलका कांड की वजह से उन्हें मात्र 17 महीने में ही अपना इस्तीफ़ा देना पड़ा था. इस्तीफ़ा देने के दबाव में वह इतना नाराज़ हो गयी थी की उन्होंने NDA से भी मुंह फेर लिया था.
फिर कुछ सालों बाद ममता बनर्जी ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था की जब वह रेल मंत्री पद से इस्तीफ़ा देकर कोलकाता आ गयी थी तो मुझे खुद अटल जी ने फ़ोन करते हुए वापिस दिल्ली बुला लिया था. इसके बाद अटल जी ने ममता बनर्जी से कहा की आप अपना इस्तीफ़ा वापिस ले लीजिये लेकिन मीडिया और लोगों के दबाव के चलते ममता बनर्जी ने अटल जी को कहा की मैं यह नहीं कर सकती.
इसके बाद अटल जी ने कहा की ठीक है आप मंत्रिमंडल में शामिल न हों लेकिन कम से कम सरकार का हिस्सा तो रहिये. ममता बनर्जी इसपर भी राजी नहीं हुई, फिर अटल जी ने कहा की अगर आप सरकार का हिस्सा न बनी तो मैं खाना नहीं खाऊंगा, खाने का समय हो चूका था और खाना सामने पड़ा था लेकिन 3 घंटे चली इस जिद्द के आगे ममता बनर्जी ने हार मानी और वह सरकार का हिस्सा बने रहने के लिए राज़ी हो गयी.