कहते हैं आप अपने दावों को वक़्त के साथ झुठला सकते हैं लेकिन अपने द्वारा ही छोड़े गए सबूतों को मिटा नहीं सकते. परमबीर सिंह ने जब से चिठ्ठी बम फोड़ा हैं तब से ही महाराष्ट्र की सरकार में सियासी भूचाल आ चूका हैं. जो लोग प्रधानमंत्री मोदी की सरकार गिराकर कोई राष्ट्रपति तो कोई प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे थे वह आज अपने राज्य की सरकार बचाने के लिए भ्रस्टाचारियों के साथ खड़े नज़र आ रहें हैं.
परमबीर सिंह मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर रहें हैं और उन्होंने अपने कार्यकाल में किस तरह से राजनितिक दबाव में काम किया था सबने देखा हैं. लेकिन मुकेश अम्बानी के घर के बाहर मिली जेलेटिन स्टिक्स से भरी कार के मिलने के बाद सचिन वाजे की गिरफ्तारी के बाद उन्हें उनके पद से हटा दिया गया हैं.
सचिन वाजे की गिरफ्तारी के बाद अब सरे सबूत धीरे-धीरे परमबीर सिंह की तरफ बढ़ रहें हैं और उन्होंने भी चिठ्ठी बम के साथ महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के ऊपर 100 करोड़ प्रति माह की वसूली का आरोप लगा दिया. अब उनके बचाव में एनसीपी उतर चुकी हैं, उधर राज्य में लोग शिवसेना से सवाल कर रहें हैं.
शरद पवार ने एक मीडिया वार्तालाप में कहा की अनिल देशमुख बेक़सूर हैं, परमबीर सिंह फ़रवरी में अनिल देशमुख और सचिन वाजे मुलाकात की बात कर रहा हैं. जबकि फ़रवरी में तो अनिल देशमुख हॉस्पिटल में भर्ती थे, अब महाराष्ट्र के चाणक्य ने ऐसी गलती कर डाली जो की राहुल गाँधी भी शायद अपने जीवन में न करते.
उन्होंने हॉस्पिटल का एक पर्चा दिखाते हुए कहा की कोरोना वायरस की संक्रमण की वजह से वह 5 से 15 फरवरी तक नागपुर के अस्पताल में अनिल देशमुख भर्ती रहे थे और फिर 6 फरवरी से 27 फरवरी तक उन्होंने खुद को होम आइसोलेशन में रखा हुआ था. ऐसे में उन्होंने कहा की सचिन वाजे और अनिल देशमुख की मुलाकात होने का तो सवाल ही नहीं उठता.
ऐसे में बीजेपी ने एक वीडियो जारी कर बताया जिसमें वह फ़रवरी में एक प्रेस वार्तालाप कर रहें थे. इस प्रेस वार्तालाप से यह साफ़ होता है की या तो वह दूसरों को संक्रमण पहुंचाने के मकसद से प्रेस वार्तालाप कर रहे थे या फिर वह झूठ बोल रहें हैं. उनका कहना है की, हॉस्पिटल से बाहर आते हुए कुछ पत्रकार मिले जिस वजह से वार्तालाप हुई लेकिन कोरोना होने के बाद होम आइसोलेशन का मतलब क्या होता हैं?
खैर अभी परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाते हुए मामले की जांच CBI द्वारा करवाए जाने की गुजारिश की हैं. जाहिर है डूबता हुए जहाज़ के साथ कोई डूबना नहीं चाहता लेकिन अगर उसका डूबना निश्चित हो तो वह अपने साथ सभी को लेकर ही डूबने का प्रयास करता हैं.