महाराष्ट्र की राजनीती शुरू से ही चर्चा का विषय बनी हुई, जिन पार्टियों के साथ लड़ते हुए बाप ने अपना जीवन बिता डाला मुख्यमंत्री पद की कुर्सी के लिए उन्हीं पार्टियों के साथ गठबंधन कर के सरकार बनाने वाले उद्धव ठाकरे अब फिर से भ्रस्टाचार के विवादों में घिर चुके हैं.
मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह पहले तो शिवसेना और एनसीपी के इशारे पर काम करते हुए खूब सुर्खियां बटौर रहे थे. अब जब उन्होंने देखा की NIA का शिकंजा उनपर कसता जा रहा यहीं उन्होंने एक लेटर बम के सहारे महाराष्ट्र की राजनीती में भूकंप ला दिया. परमबीर सिंह ने दावा किया है की महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने संजय वाजे को हर महीने 100 करोड़ रूपए की वसूली का लक्ष्य दिया हुआ था.
इस खुलासे के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे और भारतीय जनता पार्टी के नेता देवेंद्र गंगाधरराव फडणवीस ने महा अघाड़ी सेना की सरकार को घेरना शुरू कर दिया हैं. एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा है की जो भी इलज़ाम अनिल देशमुख पर लगे हैं वह गंभीर हैं और इसकी जांच होना बहुत जरूरी हैं.
साथ ही उन्होंने अनिल देशमुख का बचाव करते हुए कहा की यह आरोप परमबीर सिंह ने कमिश्नर पद से हटाए जाने के बाद लगाए हैं. पद पर रहते हुए तो उन्होंने किसी के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया, फिर पद से हटने के बाद ही क्यों? शरद पवार ने कहा की मुख्यमंत्री जो फैसला लेंगे हमें मंजूर होगा.
यानी उन्होंने बीच का रास्ता चुनते हुए सारा दारोमदार अब उद्धव ठाकरे पर डाल दिया हैं, कल को अगर आरोप साबित भी होते हैं तो शरद पवार कह देंगे हमने तो पहले ही कहा था मुख्यमंत्री चाहे तो अनिल देशमुख को उसके पद से हटा सकते हैं. इसी के साथ उन्होंने कहा की फिलहाल सरकार पर किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं हैं, यह सरकार अपने पांच साल पुरे करेगी.
शुरुआत में कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं का कहना था की यह पत्र परमबीर सिंह ने नहीं लिखा हैं. यह फ़र्ज़ी पत्र हैं, लेकिन परमबीर सिंह ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा की यह पत्र उन्हीं के द्वारा लिखा गया हैं और उन्होंने ही इसे मुख्यमंत्री के पास भेजा हैं.
फिलहाल इस बात का खुलासा नहीं हो सका की यह पत्र मीडिया के हाथ कैसे लगा. लेकिन सवाल यह जरूर बनता है की अनिल देशमुख ने केवल सचिन वाजे को ही 100 करोड़ महीना इक्क्ठा करने का लक्ष्य दिया था या फिर सचिन वाजे जैसे और भी पुलिस अधिकारी मजूद हैं?